Book Title: Jain Siddhanto ke Sandarbh me Vartaman Ahar Vihar
Author(s): Rajkumar Jain
Publisher: Z_Jaganmohanlal_Pandit_Sadhuwad_Granth_012026.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ २९२ पं. जगन्मोहनलाल शास्त्री साधुवाद ग्रन्थ [खण्ड रसोन ( लहसुन ) रसोन उष्णः कटुपिच्छिलश्च स्निग्धो गुरूः स्वादुरसोऽतिबल्यः । वृष्यश्च मेधास्वरचक्षु भग्नास्थिसन्धानकरः सुतीक्ष्णः ॥ हृद्रोगजीर्णज्वरकुक्षि शूलविबन्धगुल्मारूचि कृच्छनोफान् । दुर्नामकुष्ठानलसादजन्तु कफामयान् हन्ति महारसोनः ।। रसोन उष्ण वीर्य वाला, कटु रस वाला, पिच्छिल, स्निग्ध और गुरु गुणवाला, मधुर रस वाला, अति बल कारक, पुष्टिकारक, मेघा-स्वर और चक्षु, के लिए हितकारी, भग्नास्थि का संधान करने वाला और अत्यन्त तीक्ष्ण होता है। यह रसोन हृदय रोग, जीर्णज्वर, कुक्षिशूल, विबन्ध ( कब्ज ), गुल्म, अरूचि, मूत्रकृच्छ्र, शोफ, अर्श, कुष्ठ, मन्दाग्नि, कृमिरोग और कफ जनित विकारों का नाश करता है। व्यवहार में देखा गया है कि यह वात जनित विकारों ( जैसे आमवात, जोड़ों का दर्द, पेट में अफरा होना, गैस की शिकायत आदि ) में विशेष लाभकारी होता है । पलाण्डु (प्याज) पलाण्डुस्लद्गुणैन्यूनो विपाके मधुरस्तु सः। कर्फ करोति नो पित्तं केवलो निलनाशनः ॥ - पलाण्टु रसोन के गुणों से अल्प गुण वाला होता है। यह विपाक में मधुर रस वाला, कफ की वृद्धि करने वाला, पित्त के प्रति उदासीन, केवल वायु नाशक होता है। गाजर गर्जरं मधुरं रुच्यं किंचित्कटु कफापहम् । आध्मानकृमिशूलघ्नं दाहपित्त ज्वरापहम् ॥ गाजर मधुर एवं किंचित् कटु ( चरपरा ) रस वाली होती है। यह रुचि कारक, कफ का शमन करने वाला, आध्यमान् ( अफरा ), कृमि, ( पेट में कोड़े ) और शूल का नाश करने वाला, दाह, पित्त, और ज्वर को दूर करने वाला होता है। मूली मूलकं गुरू विष्टम्मि तीक्ष्णमामत्रिदोषुनुत् । तदेव स्विन्नं स्निग्धं च कटूष्णं कफवातनुत् ॥ त्रिदोष शमनं शुष्कं विषदोषहरं लघु ॥ मूली गुण में गुरु, विष्टम्मी ( मलावरोधक ) और तीक्ष्ण होती है । यह आम दोष तथा त्रिदोष ( वात, पित्त एवं कफ ) नाशक है । वही मूली उबाल कर सेवन करने पर स्निग्ध, कटु, रस और उष्ण गुण वाली, कफ एवं वायु नाशक होती है । शुष्क मूली त्रिदोष का शमन करने वाली, विष दोष नाशक और लघु होती है। अदरक कफानिलहरं स्वर्य विबन्धानाहशूल जित । कटूष्णं रोचनं वृष्यं हृद्यं चैवाऽऽकं स्मृतम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7