Book Title: Jain Siddhanta Sangraha
Author(s): Sadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
Publisher: Sadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar

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Page 411
________________ अनसिंह छंद । करें नादियानन्धर नीतिभिREFRI महाशी प्रारमहसुभकामही चमारी महासह ॐ हायव महानवधानाय साधुपामा REGITAL IF II fiss F TH E R FPIRHIPB AFE STREATERI RPF-T इपिय सोच, जिम जातियोकि तो nि सांचे मन जारी हे विधान को मारा मनमा शेषका - Thtm दोहा वर्णन पुराना सामान लिम माजी HTTE PR g IDEAR हिFP FER TEJणा ॐ चेद्रिययापारहिवास साधुममेशिकानि० ॥ ॥ अविकुमणा जादो मार्ग IIHIN F • HTA PHATHIYANKERMITTALPANE विकार मोति करना है, जो जमिन॥ सायाय नित pिध, अरुणानामानिमा ते ॐ ही पडाय परमेषित म नि०॥ I पडी मंदमFिE OF TAS सिर केशा ढुंचाकरमालान कारूविलवृति सिनापान ।. मलान नहीं करते सु वीर । म शयन करत ते महावीर ||७||

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