Book Title: Jain Siddhanta Sangraha
Author(s): Sadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
Publisher: Sadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar

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Page 416
________________ जैनादातसंग्रह तुम मम भाव मामला जायो AFTE : • IFFERHIR दर्शना जानसुख-विस्मयो जिपद न्यूटला, यह चित्त्या निर्मल निज होकर घुपखेऊ, एख: करन FPY PR शक्तिको मनो चरणमा कर्म जारि ईषत जल FE ॐ ह्रीं श्रीपसोधिने माटाकर्मदहनाम: Me !!rypt ETE मैं पुत्र लालमित्राला वाचा फलवाहत अमोDISPF PE II DATE जिसका नाम मोक्षामल चिसो ॥ तुमसालदार सुन बरामफल प्रायोशण DिI AR HINE का शिला चहाबहुमति She * मेलि मोक्षाफलमानायू, फुलं IAF FE तुमानात विषा होखिम परमुबहालवाला हो REET सुमिशालिक किरातुम्ही माहंत सत महान होना: Fr मैंपिकादमामिलायाध बताया- तुम चरण - Fr PRATE हो जाण शिवमुख क NEEFF . मी लाईनमोकिमुदमानाय sale ARRE INF FIयमानुEEP Firs Pr If अहित महासाकीममयो नहीं संतोFE ताते रचालयमा मा सुमो FTTET PE नालासंवारनहिला महल सहभा जय भावंड ख माली म सगरम- मामी जय इतिहासका चिहामना चन्द्र बंदिन जा पावन जय ईश्वरसमाजास भीतिलाश मखदासक, PF जय कुता विनियम-गण-विपिन निहायो

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