Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 06
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 311
________________ ( 315 ) पुद्गल काय है। उसे जिनेन्द्र भगवान ने पृथ्वी आदि छह प्रकार का कहा है // 6 // प्रश्न ७-पृथ्वी आदि छह प्रकार के नाम क्या है ? उत्तर-(१) पृथ्वी, (2) जल, (3) छाया, (4) नेत्र इन्द्रिय को छोडकर चार इन्द्रियो के विषय, (5) कर्म वर्गणा, (6) परमाणु // 7 // प्रश्न ८-धर्म द्रव्य किसे कहते हैं ? उत्तर--स्वय गमन से परिणत पुद्गल और जीवो को गमन में 'निमित्त धर्म द्रव्य है / जिस प्रकार मछलियो के गमन मे जल निमित्त है। किन्तु गमन न करने वालो को और स्थिर रहे हुये पुद्गल और जीवो को धर्म द्रव्य गमन नही कराता // 8 // प्रश्न -अधर्म द्रव्य किसे कहते हैं ? उत्तर-स्वय गतिपूर्वक स्थित रहे हुये जीव और पुद्गलो को 'स्थिर होने मे निमित्त अधर्म द्रव्य है। जिस प्रकार छाया यात्रियो को स्थिर होने मे निमित्त है। किन्तु गमन करते हुये जीव-पुदगलो को अधर्म द्रव्य स्थिर नही करता है / / 6 / / प्रश्न १०-आकाश द्रव्य किसे कहते हैं ? उत्तर-जो जीवादिक द्रव्यो को अवकाश देने मे निमित्त है-उसे जिनेन्द्र देव द्वारा कहा गया और आकाश द्रव्य जानो उसके दो भेद हैं-लोकाकाश और अलोकाकाश // 10 // प्रश्न ११–काल द्रव्य किसे कहते हैं ? उत्तर-(१) जो द्रव्यो के परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले हैं वे व्यवहार काल हैं। (2) लोकाकाश के प्रदेश रूप से स्थित एक-एक कालाणु निश्चय काल द्रव्य है // 11 // प्रश्न १२-काल द्रव्य कितने हैं ? उत्तर-जो लोकाकाश के एक-एक प्रदेश मे रत्त राशि की भान्ति, परस्पर भिन्न, एक-एक काल द्रव्य स्थित हैं। वे काल द्रव्य असख्य हैं // 12 //

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