Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 06
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 315
________________ प्रारम्भ से पहले अशुद्धियों को शुद्ध कीजिये 10 पृष्ठ संख्या पंक्ति अशुद्धि जैनधम 64 15 प्रधीन सिद्धान्य 79 20 दाष दर्शनमाह ओर विज्ञापन हाती ओर 12 ओर 105 21 प्रवत 111 सम्यग्दशन 114 चौदहव 114 प्रमादि 127 वशिष्टं 128 सम्यत्व 134 2 ओर 170 27 , . . सिश्चय / शुद्ध जिनधर्म प्रधान सिद्धांत दोष दर्शनमोह और विज्ञानधन होती ओर और प्रवत सम्यग्दर्शन. चौदहवें ' प्रमाद विशिष्ट सम्यकत्व और निश्चय 107

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