Book Title: Jain_Satyaprakash 1955 02
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir શ્રી. જેન સત્ય પ્રકાશ [वर्ष :२० १४६२ हरिभद्रसूरि १०३ १३८१ हेमसूरि ५५१ ६. विनयसागर, प्रतिष्ठा लेख संग्रह १३८१ रत्नसागरसूरि सं. आचार्यनाम लेखांक १३८९ श्रीदेवसूरि ५५९ १४७३ मुनिप्रभसूरि २१० (धर्मदेवसूरि पट्टे) १५२० नयचंद्रसूरि ६०३ १४२० पूर्णचंद्रसूरि ५७५ १५२५ विजयचंद्रसूरि ६७२ १४४० सोमचंद्रमूरि ५९६ १५३५ नयचंद्रसूरि ७८८ १४४१ हरिभद्रसूरि ( वीरप्रभसूरि पट्टे) (पूर्णचंद्रसूरि पट्टे ) १५३५ (र)विचंद्रसूरि ७८९ १४४६ मुनिभद्रसूरि । १५४२ नयचंद्रसूरि __८३१ १५३५ कमलचंदसूरि (जाखड़िया) ६५५ १५८३ मनकसूरि ( गुणकीर्तिसूरि, ९७२ ८.ज.,अर्बुदाचल प्रदिक्षणा जैन लेखसंग्रह दयासरि, भावचंद्रसूरि शिष्य) सं. आचार्यनाम लेखांक १४८५ रत्नपुरीय धर्मचंद्रसूरि २५३ १२८७ १५०१ धर्मचंद्रसूरि ४३९ १३७३ शान्तिसरि १५५७ पूर्णचंद्रसूरि ८९१ १६७४ ...चंदजी (चंद्रसूरि पादुका) ९४ (उ. आणंदमेरु, जाखड़िया) १७७१ पीथाजी(सूरजी पादुका) १०२ ७. जयंतविजय, आज लेख संदोह १७८७ वीथा, बाघा, दीवा, पदमा १०३ सं. आचार्यनाम - लेखाक १७८७ भ.देवचंद्र, आ. लीलाजी १०४ १६२० माणिक्यरत्ति ६४ (माणभद्र, चक्रेश्वरसूरि पगलां) १७२८ पं. चतुरा २९४ १८७६ म. जोईताजी, म. रामाजी, १०६ १२०३(१) शान्तिसूरि यशोदेवसूरिपट्टे)५१५ भ. खसालचंदजी, म. रतनचंद१३६२ पासदेवसरि ५३९ जी, म.अदैचंदजी,म. अमीचंदजी १३७१ शान्तिसूरि ५४३ १९५७ म. अमीचंद चेला वजेचंद- १०६ ( यशोदेवसरि पट्टे) भाई मेघजी हीराचंद खोज करने पर भी इस गच्छकी कोई प्रशस्ति व पुस्तिकालेख प्रकाशित हुआ देखने में नहीं आया। इस गच्छका साहित्य उनके उपाश्रयोंमें ही मिलना संभव है । सारंग कविके सिवाय किसी साहित्यकारका भी उल्लेख नहीं मिला । पर जो गच्छ करीब ८०० वर्षों से चालू है, उसमें अवश्य ही और भी साहित्यकार अवश्य हुये होंगे। जिन्हें इस सम्बन्धमें विशेष जानकारी हो, प्रकाशमें लावें। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28