Book Title: Jain Sadhna Paddhati
Author(s): M P Patairiya
Publisher: Z_Ambalalji_Maharaj_Abhinandan_Granth_012038.pdf

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Page 9
________________ जैन-साधना-पद्धति : एक विश्लेषण | 347 000000000000 000000000000 15 औपपातिक० तपोऽधिकार / 16 वही। 17 अंगुष्ठाभ्यामवष्टभ्य धरां गुल्फे च खेगतो। तत्रोपरि गुढं न्यस्य विधेयमुत्कटासनम् / / 18 ठाणांग०, उत्तरा० 3027 16 औपपातिक तपोऽधिकार / 20 सुस्साणे सुन्नगारे वा रुकाखमूले वा एगओ। -औपपा० तपोऽधिकार / 21 स्वाध्यायाद् ध्यानमध्यास्तां, ध्यानात्स्वाध्यायमामनेत् / ध्यानस्वाध्यायसम्पत्या परमात्मा प्रकाशते / -सम० 22 सज्झाएण नाणावरणिज्ज कम्म खवेइ -उत्तरा०२६।१८ 23 एगग्गमणसन्निवेसणाए णं चित्तनिरोहं करेइ-उत्तरा० 26425 24 एकाग्रचिन्तायोगनिरोधो वा ध्यानन्-जैन सिद्धान्तदीपिका / / 25 समवायांग-१४ / 26 धर्मध्यानं भवत्यत्र मुख्यवृत्या जिनोदितम् / रूपातीतं तथा शुक्लमपि स्यादंशमात्रतः / / -गुणस्थान क्रमारोह-३५ / / 27 गुणस्थान क्रमारोह 51 तथा 74 28 वही-१०१ 26 वही-१०५ 30 क्षपक श्रेणिपरगतः सः समर्थः सर्वकर्मिणां कर्म / क्षपयितुमेको यदि कर्मसंक्रमः स्यात्परकृतस्य // -प्रशमरति० 264 // 31 पढम पोरिसि सज्झायं, बीयं झाणं झियायइ / तइयाए भिक्खायरियं, पुणोचउत्थीए सज्झायं / -उतरा० 26 // 12 // 32 पढमं पोरिसिं सज्झायं, बीयं झाणं झियायइ / तइयाए निद्दमोक्खं तु, चउत्थी भुज्जो वि सज्झायं // -उत्तरा० 26 / 18 / / 33 आचारांग, सूत्रकृतांग, उत्तराध्ययन, दशवकालिक आदि / 34 अट्ठपवयणमायाओ, समीए गुत्ती तहेव य / पंचेव य समिईओ तओ गुत्ती उ आहिया ॥-उत्तरा० 24 / 1 / / ...... सर m . . -. - - . For Private & Personal use only ..'SS NE-/ www.jainelibrary.orgs Jain Education International

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