Book Title: Jain Pujanjali
Author(s): Rajmal Pavaiya Kavivar
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 220
________________ २०८ ] १०३) १. 1 ) १०१ ) १०: । १०१) 9011 ५.१) 7) ५.१) ५.१) '५'१) 9.77 ५१) ५.१) ५.५) ५१) ५१) ' ५१) २.१ ) 7) ५५) ५१) ५१ ) ५५.७) जैन पूजाँजलि श्री निशीतलप्रसाद जी [ बेगमगंज ] जी चन्दनमन जी सर्राफ ही श्री श्रीकमल जी एडीकेट श्रीमती सावित्रीबाई ध. प. स्व० श्री बागमन जी नंत श्री गुरुपचन्द्र जी चौधरी [ पिपरई गाव ] श्रीनना पुनरीबाई ध.प. स्व० श्री बाबूलाल जी नम्बरदार श्री बिहारीलाल जी [ वेरसिया ] श्री फोटो सेंट जहागीराबाद द्वारा नरेन्द्र कुमार गास्त्री जयपुर श्रीजी ! नंद व टपीस | श्रीमती माई मार्तश्वरी उमेशचन्द जी या गावचन्द जी श्री श्रीमती राजमनी बाई श्रीकुमार जी श्री बाला जी पीपला वाले 17 श्री काल जी | एम०पी०कटपीस ] श्री श्री गोनाराम जी कुमार जी जी महेन्द्रकुमार जी [ विदिशा ] श्री राजरूप जी मुरीधर जी श्री मिनन्दत् की बुधवारा श्री जी जमल जी नरपतिया W गुदान श्रीमलजीत श्री लीधर जी राजमल जी श्री अंन्द्र कुमार नगेन्द्र कुमार पर्वया (५१ मे मनी) फूटकर चन्द जी, मगलवारा xxx प्रभु तुम हरो मेरो पौर राग द्वेष विनाश कर दा. देहु समरस नीर ॥ प्रभु० ॥ लीन विषय कषाय होकर, सही जग को पीर । कर्म फल भोगत अकेलो कोऊ नाहीं सीर ॥ प्रभु० ॥ तत्त्व चिन्तन बिना पाई चार गति को भीर । शुद्ध बुद्ध स्वरूप विसरयो भूल आतम होर ॥ प्रभु ॥

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