Book Title: Jain Meghdutam Author(s): Mantungsuri, Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi View full book textPage 9
________________ नीय संचालकों के प्रति भी सहर्ष कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ जिन्होंने इस ग्रंथ को प्रकाशित करने का दायित्व वहन किया। ___अन्त में, एक बार पुनः उन समस्त महानुभावों के उपकार का स्मरण कर अपना आभार व्यक्त करता हूँ, जिनसे परोक्ष या अपरोक्ष किसी भी रूप में मैं लाभान्वित हुआ हूँ। डॉ. रविशंकर मिश्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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