Book Title: Jain Meghdutam
Author(s): Mantungsuri, 
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 11
________________ ६७, हनुमत्संदेश-६७, हरिणसंदेश-६७, हारीतदूतम्-६७, हंसदूतम्-६७६९, हंससंदेश-६९-७०-हृदयदूतम्-७० । कविपरिचय ७१-८२ आचार्यमेरुतुङ्ग स्थितिकाल-७१-७२, जीवन चरित-७२-७३, अनेक प्रभावी अवदात-७४-७६, उपाधियाँ-७६, शिष्य-परिवार-७६-७७, स्वर्गवास-७७, रचनाएँ-७७-८३, षड्दर्शनसमुच्चय-७८, बालावबोध व्याकरण-७८, जैनमेघदूतम्-७८, धातुपारायण-७९, रसाध्याय टीका-७९, सप्ततिभाष्य टीका-७९, लघुशतपदी-७९, कामदेवनृपतिकथा-७९, पद्मावतीकल्प-७९, शतकभाष्य-७९, नमुत्थणं टीका-८०, जीरावल्ली पार्श्वनाथस्तव--८०, सूरिमन्त्रकल्प-सारोद्धार-८०, संभवनाथचरित्र-८०, सप्ततिभाष्य टीका-८० शतपदी सारोद्धार-८०, जेसाजी प्रबन्ध-८०, स्तम्भनकपार्श्वनाथ प्रबन्ध-८१, नाभिवंशकाव्य-८१, सूरिमन्त्रकल्प-८१, यदुवंशसम्भवकथा८१, नेमिदूत महाकाव्य-८१, कृवृत्ति-८१, कातन्त्र व्याकरण बालावबोध वृत्ति-८१, उपदेशचिन्तामणिवृत्ति-८१, नाभाकनृपकथा-८१, सुश्राद्ध कथा-८२, चतुष्कवृत्ति-८२, अंगविद्योद्धार-८२, ऋषिमण्डलस्तव-८२ पट्टावली-८२, भावकर्मप्रक्रिया-८२, लक्षण शास्त्र-८२, राजीमती-नेमिसम्बन्ध-८२, वारिविचार-८२, कल्पसूत्रवृत्ति-८२।। काव्य-परिचय-विषयवस्तु जैनमेघदूतम् का कथाशिल्प ९४-१०४ ___ काव्यशिल्प विधान-९४-९५, दौत्यकर्म में भिन्नता-९५-९६, मनोवैज्ञानिकता-९६-९७, प्राकृतिक चित्रण-९८-९९, वैज्ञानिकता-९९, मेघमहत्त्वप्रतिपादन-९९-१००, काव्य-नायक विचार-१००-१०१, नायक सम्बन्धी प्रवासमूलक कारण-१०१-१०४ । रस विमर्श १०५-१२३ रस : सामान्य परिचय-१०५-१०७, जैनमेघदूतम् में रस-१०७-११४, संयोग शृंगार-११४-११८, शान्त रस-११८-११९, रस समीक्षण-११९-१२३ । ध्वनि-विमर्श १२४-१३३ ध्वनि : सामान्य परिचय-१२४-१२६, जैनमेघदूतम् में ध्वनि-१२६-१३०, ध्वनि समीक्षण-१३०-१३३ । अलंकार विमर्श १३४-१८४ अलङ्कार : सामान्य परिचय-१३४-१३९, जनमेघदूतम् में अलंकार-१३९१४१, अनुप्रास-१४१-१४३, वक्रोक्ति-१४३, उपमा-१४३-१४५, उत्प्रेक्षा ८४-९३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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