Book Title: Jain Marriage Ceremony English and Gujarati Author(s): Publisher: Pallavi and Dilip MehtaPage 20
________________ D (भावार्थ : श्री ऋषभनाथ सभारे भाटे भंगलस्व३प हो, श्री अजितनाथ सभारे भाटे हत्याराहार हो, श्री संलवनाथ अभारे भाटे भंगलस्व३प हो. श्री मलिनंहन स्वामी अभारे भाटे भंगलस्व३५ हो. श्री सुभति जिन मापाशा भाटे भंगलस्व३प हो, श्री पद्मप्रभ भ्रम मापाशा भाटे उल्यारामारी हो. श्री सुपार्श्वप्रल आपाशा भाटे उल्थाहारी हो, श्री यन्द्रभ्रल स्वामी आशा भाटे ठल्याहारी हो. श्री सुविधि प्रभु सभारे भाटे भंगलस्व३प हो, श्री शीतलनाथ सभारे भाटे भंगल स्वप हो, श्री श्रेयांस पिनसभारे भाटेऽत्याशठारी हो, श्री वासुपूज्य सभारे भाटे भंगलस्व३प हो. श्री विमलनाथ सभारे भाटेभंगलस्व३५हो, श्रीसनंतनाथ सभारे भाटे भंगल स्व३प हो, श्री धर्म जिन अभारे भाटे भंगल स्व३५ हो, श्री शांतिनाथ सभारे भाटे भंगल स्व३ध हो, श्री कुंथुनाथ अभारे भाटे इल्याहारी हो, श्री सरनाथ हत्याराहारी हो, श्री भटिलनाथ इत्याराडारी हो, श्री भनिसवत इत्याठिारी हो. श्री नभिनाथ अभारे भाटे भंगलस्व३प हो, श्री नेमिनाथ भंगल स्व३प हो, श्री पार्श्वनाथ भंगलस्व३प हो, श्री वर्धभान प्रभु भंगलस्व३प हो) हवे ज्ञानपू मारंभाय छे. वरन्था पवित्र वासक्षेपथी ज्ञानपूरशे. पूवजते वरन्थानांभाता-पिताहाथोडी, श्रद्धापूर्व मा भत्र पांयवार मोलशे. पछी न्यारे शांतिभंत्रनो पाठथतो होय त्यारे घरे वाध्यने संते अक्षतथी पूल इरशे. शास्त्रपूल पछी लावपूर्व हाथ गोडी 'शांतिभंत्र'त्रा वार मोलवा भाटे वरन्थानां भातापिताने विनंती. (CCCPage Navigation
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