Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar
View full book text
________________
सं० वर्षे १४८०
सोनादे -
----
(२७५ )
( 987 )
--
- उ० छत्रवाल गोत्रे सा० तिहुणा पु० सोना भा०
फागुण सुदि १० शांति नाथ बि
----
( 988 )
सं० १४९९ वर्षे मागसिर सुदि ५ काकरिया गोत्र सा० सधारण तरपुत्र सा० सांगा श्री आदिनाथ बिवं करापितं श्री नयचन्द्र सूरिभिः प्रतिष्ठितं ।
(989)
सं० १५०१ पोष वदि ६ बुधे श्री हुंबड ज्ञातीय परज गोत्रे ठ० कडुआ भ० कामल दे सुख ठकुर पीमा भा० रूपिणी -- सुसीया बीमा सुत देवसी करमा देवसी भा० चमकू सुत लखमा घरमा धना वना देवी । करमा भा० गांगी लखमा भार्या भोली एवं समस्त परिवार सहितेन ठ० देव सिंघेन श्री संभव नाथ विंव कारापित स्व पुण्यार्थं प्र० श्री सर्व सूराः ।
( 990 )
सं० १५०१ वर्षं माघ वदि ६ उपक्रेश ज्ञासौ लोढ़ा मोत्रे सा० भार्या पूना पु० हांसाकम निज पूर्वजा षेमधर मोहा मीत्यर्थं श्री आदिनाथ बिंबं कारितं श्री रुद्रपल्ली य गच्छे भ० श्री देव सुंदर सूरि पदे प्र० श्री सोम सुंदर सूरिभिः ।
( 991 )
सं० १५१२
वर्षे फागुण सुदि १२ बुधे उ० ज्ञा० खढ़बढ़ गोत्रे सा० पाल्हा भार्या पाल्हीदे पुत्र सं० साद्य खायर सोठारय आत्मश्रेयसे श्री सुमतिनाथ बिंबं कारितं प्र० श्री मलधार गच्छे गुण सुन्दर सूरिभिः ।

Page Navigation
1 ... 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341