Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 03
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 391
________________ श्रीसम्यक्त्वसित्तरी. 31 काल कीधो. लघु शोक्यनो पुत्रमहोटी शोक्ये पाल्यो, तेथी ते तेहनोज कहेवा णो परस्पर बेदुने मांदो मांहे प्रेम हतो,माटें लघु शोक्ये कांश मनमां था एयुं नहीं, अनुक्रमें इव्यने अर्थे वढवा लागी. एक बीजाथी जूदी थ तेवा रें महोटी शोक्यें कह्यु पुत्र महारो ,तहारे एनी साथें श्यो संबंध ? ज घु शोक्य कह्यु ए पुत्र महारो रे गामना लोकोने कां पण समजण पडती नथी तेवारे ते बेदु स्त्री वढती वढती राज्यसनायें यावी, राजा बागल पोतपोतानां कुःख रोवा लागी. राजाने पण कांश समजण पडी नहीं. तेवा रें सुमतिप्रधान जे प्रादुणो थइ आव्यो , तेणे कयुं स्वामी मुझने दुकुम आपो,तो हुँ ए विवादनो निवेडो करी बापुं. राजायें कह्यु घणुंज रू९. जुले न्याय करीयापो! राजानो आदेश पामी सुमति प्रधाने कर्तुं तमें बेतु जणी माहोमांहे समजी ल्यो. तो सारी वात ने. नहींतर इव्य अर्यो अई वहेंची व्यो,अने पुत्रना बे कटका करी एकेको कटको वहेंची ल्यो. ते सांन ली महोटी विचाओँ जे पुत्र मरी जाय तो महारे गुंडे, पण इव्य तो थ ई मने मले में, जो पुत्र जीवतो रहीने एनो ठरे, तो ऽव्य बधुं पुत्रने मली जाय अने पुत्र तो महारो नथी, एनोज , एम चिंतवी तेणे हा पाडी. पण लघु स्त्रीय विचाघु जे महारो अंगजात पुत्र जीवतो हो, तो महारे काम श्रावशे, पण पूत्र मूथा पनी हुँ व्यने गु करुं ! पुत्रने जीवतो देखीश तो पण एम जाणीश जे महारो पुत्र . एवं तत्त्व विचारी ते उतावली बोली जे एम ढुं नहीं करीश. जलें ए पुत्र महारी वडी शोक्य लइ जाय, अने इव्य पण एनेज आपो. दुं महारा पुत्रने जीवतो देखीनेज संतोप पामीश, महा रे इव्य खपतुं नथी. महारुं एकलीनुं पेट नरवा माटें हुं लोकोनुं काम का ज करीश! पण पुत्रने मारी नाखवानो न्याय क्यांय पण सांजल्यो नथी. एवी रीतें तेनुं लोही तप्युं देखी प्रधानें कडं पुत्रनी खरेखरी साची माता एजबे,माटें एने पुत्र तथा इव्य थापो अने महोटीने पुत्रनी उपर निःस्ने हीपणुं जोश्तेने खोटी जाणी काढी मूकी. एवी तेनी बुधिदेवी राजा खुशी थयो. अने नोजनादिकें करी चारे जाने संतोष्या, ते राजाने नोजन क रावतां चार हजार इव्यनो खरच थयो. ' हवे चोथे दिवसें हस्तिनागपुरें गया, तिहां राजा पछेडी Jढी महोटा वृदनी नीचें निश्चित जस्तो ,कंघ करवा लाग्यो, ते जोश्त्रण जण हस

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