Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 01
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 11
________________ • अनुक्रमणिका. श्रीदेमचं प्राचार्यकृत श्रीवीतराग स्तवनी अनुक्रमणिका. • क्रमांक. प्रकाशनाम. काव्य ४० क्रमांक.. प्रकाशनांम. काव्य पृष्ठांक. १८०५. ११० महिमा स्तव. ८ २०५ १८६ १२ वैरास्य स्तव. १५ १८० १३ हेतु निरास. १४१९०० १४ योगंस्तव: ८ २०७ ८ २०८ ८ २१० • ५ प्रातिहार्यातिशय.... . १३१५ नक्तिस्तव. ए २११ ६ प्रतिपनिरास. ए २१३ ७ जगत्कर्तृ निरास. ८ २१५ १० ११६ ८ २१८ २१ १ प्रस्तावना...... २ सहजातिशय, ३ कर्मातिशय. ४ सुरकृतातिशय. .... .... · .... १२ १००५ १६ आत्मगर्दास्तव. ८ १०७ १७ शरषुगमन. ८ एकांतवादनिरास १२ १०० १८ कठोरोक्तिस्तव. ८ २०२ १९ खाज्ञास्तव. कलिकास्तव. • अद्भुत स्तंव. • ८. २०४ २० वीतराग स्तव. .... ..... .... .... ..... .... .... **** そ • गौतमष्टवानी अनुक्रमणिका: १ मंगलाचरण तथा अडतालीश पृवानां नाम: २२१ २ जिनवाणी सांजतां तृषादिक मठे ते उपर मशीनी कथा. २२३ ३ नरकगति पामवा उपर सुजूम चक्रवतीनी, कथा. २२४ .... २३० 8 देवगति पामवा उपर त्र्यानंदश्रावकनी कथा. ५ मनुष्य तिर्यंचगति पामवा, उपर सागरचंद अशोकदत्तनी कथा. २३४ ६ जे कर्मने योगें पुरुष मरी स्त्रीवेद पामे खने. स्त्री मरी पुरुष वेद पामेतेनी उपर पद्म खनेपद्मिनीमीं कथा. ارم . २३६ २३८ ७ नपुंसक वेद पामवानी उपर गोत्रासनी कथा. अल्पायु पामवा खाश्रयी यज्ञदत्त खने शिवकुमारनी कथा..... २३० पामवा उपर दयावान् ऋषिनी कथा. संपूर्ण २४ १ २४२ १० जोगी तथा जोग रहित यांय ते उपर धनसारशेठनी कथा...... ११ सोनागीनगीपणा उपर राजदेव तथा नोजदेवनी कथा. २४५ २४७ १२ सुबुद्ध ने डुर्बुद्धि पामवा उपर सुबुद्धि डुर्बुद्धिनी कथा. १३ पंमितपणुं अने मूर्खपणुं पामवा उपर यांबा लींबानी कथा. २५०

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