Book Title: Jain Jyotish evam Jyotish Shastri Author(s): Lakshmichandra Jain Publisher: Z_Munidway_Abhinandan_Granth_012006.pdf View full book textPage 8
________________ जैन ज्योतिष एवं ज्योतिषशास्त्री नियुक्ति का प्रावधान अपनी योजनाओं तथा विविध शर्तों में करने का प्रयत्न करेगी। गणित जैन स्कृति का अविच्छिन्न तथा आधारभूत पाया है जिस पर अनेक बौद्धिक तथा मौलिक रचनाएँ सम्भव हुई तथा भारत की संस्कृति को सर्वोन्नत एवं उज्ज्वल रखा गया। जैनाचार्यों ने जो सामग्री निर्मित की वह मात्र इतिहास की वस्तु नहीं है वरन् उन आधारों को प्रस्तुत करती है, जिन पर नवीनतम खोजों के आगे बढ़ा जा सकता है। वे आधार सैद्धान्तिक हैं तथा प्रयोगों द्वारा अनुभूतयोग्य भी। सिद्धान्तों की रचना को सूक्ष्मतर बनाया जा सकता है-वह भी गणितीय आधार लेकर / अस्तु ! है इस वर्ष अक्टूबर में आर्यभट्र ज्योतिषी का 1500 वाँ जयन्ती समारोह मनाया जा रहा है। यतिवृषभ सम्भवतः इनके समकालीन थे। इस अवसर यतिवृषभ को स्मृति में शोध केन्द्रों पर पर जैन ज्योतिष के अध्ययन की बुनियादें डालना श्रेयस्कर होगा। कम से कम वैशाली, उज्जैन तथा पूना की जैन पीठों में यह अध्ययन प्रारम्भ कराना सम्भव हो सकेगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 6 7 8