Book Title: Jain Journal 1988 07 Author(s): Jain Bhawan Publication Publisher: Jain Bhawan PublicationPage 67
________________ केशर जिसे आप पानी में 'उबालें' या एसिड में 'जलावें' फिर भी उसकी पत्तियाँ शेष तक एक समान लाल रहे तब समझिये कि यह केशर है । इस प्रकार के विशुद्ध केशर तथा मैसूर को सुगन्धित चन्दन की लकड़ी तथा चाँदी के बरक, अष्टांग धूप आदि के लिए कृपया हमारे बिक्री केन्द्र में पधारें । तीर्थ दर्शन पुस्तिका, दोनों भाग भी हमारे यहाँ उपलब्ध है । Jain Education International श्री जैन श्वेताम्बर सेवा समिति १३ नारायण प्रसाद बाबू लेन, कलकत्ता ७०० ००७ फोन : ३६-१४०८ ज्ञानी होने का सार यही है कि वह किसी भी प्राणी की हिंसा न करे - भगवान महावीर जैन भवन टुकानदार संघ पी- २५ कलाकार स्ट्रीट ( जैन कटरा ) कलकत्ता 9 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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