Book Title: Jain Education and Empower Trust 2014
Author(s): Rajhansasuri
Publisher: Jain Education and Empower Trust

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Page 30
________________ 30 ગુરુ-ભંગqdળા આશીર્વચનો D卐हत પરમ પૂજ્ય આચાર્ય શ્રીમદ્વિજય રાજહંસ સૂરીશ્વરજી મહારાજા श्री सिद्धगिरिगर्नु रये पिभितित्मयप्रयऽधा. मे पञ्याके पर सरसवात समा उबानी को सान्तलहरि महाराY समयसरमा vिr B. यापूर्वनध्ययन उरेस के सानी गुरुलाin सर्वसामान पनि पूर्व प्रम्म रे. (Hrin | योहपूर्वको सर मुंडे पलके डर ध्यान के दोहर्यन स्कर PNE पाने का समय के साबळे हिला पनि प्रो. ला फिरकी सारीप्रयो j. सजी लमित के मिनरपफनो सरहे या पायावा डे के निमित निति, सिरिर cिt on An,झार झायिक कर के मेनने पवनारी गठिाफसानी लतिको दाल मोठे मूमने पाली पावरायो प, रणका, फरसा पत्र, पुण्ण रून्याने फजी पटेये या सानिsnf स्वापर लियने हाल पुरनारी हे या सधजिमि उरमान के सुमयस्सर कितने माय तोके सुनसरने पर्यापान केना रिकता रहन यु हारा से कमाने धर्ममाया जेडी सीमारिसीमन का प्यार पान समय वजी के योगदव्या लाबजल हाटा तपे सर पण माात्याग साधनारतो सादरहरूसृषि स.२०७५ सराहपयांशीनगर बोरीवली, मुंबई આજનો સાધર્મિક આવતી કાલનો શ્રેષ્ઠી અને ઉચ્ચ શ્રાવક બને Dersonal www.jainelibrar

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