Book Title: Jain Dharma Darshan Part 1
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 104
________________ स्वामिन् - हे गुरु महाराज! साता है जी - शांति है जी। नोट - आगे का अर्थ स्पष्ट है। भावार्थ : (शिष्य गुरु को सुखसाता पूछता है वह इस प्रकार :-) हे गुरु महाराज! आपकी इच्छा हो तो मैं पूछू ? आप की रात सुखपूर्वक बीत होगी? (आप का दिन सुखपूर्वक बीता होगा?) आपकी तपश्चर्या सुखपूर्वक पूर्ण हुई होगी? आपके शरीर को किसी प्रकार की बाधा-पीड़ा न हुई होगी? अथवा शरीर निरोग होगा? और इससे आप चारित्र का पालन सुखपूर्वक कर रहे होंगे? हे गुरु महाराज! आपको सब प्रकार की शांति है? मेरे यहां पधार कर आहार पानी ग्रहण कर मुझको धर्मलाभ देने की कृपा करें। यहां ध्यान रहे कि सुहराई इत्यादि पांचों का उच्चारण प्रश्न के रुप में होवें। मध्यान्ह के पहले सुहराई, और बाद में सुह देवसी बोले। ___5. अब्भुट्ठिओं (गुरु क्षामणा) सूत्र इच्छाकारेण संदिसह भगवन्। अब्भुट्ठिओहं अभिंतर-देवसिअं खामेउं। (अभिंतर-राइयं खामेउं) इच्छं, खामेमि देवसिअं (खामेमि राइयं)। जं किंचि अपत्तिअं, परपत्तिअं भत्ते, पाणे, विणए, वेयावच्चे, आलावे, संलावे, उच्चासणे, समासणे, अंतरभासाए, उवरिभासाए। ___जं किंचि मज्झ विणय-परिहिणं सुहुमं वा बायरं वा तुब्भे जाणह, अहं न जाणामि, तस्म मिच्छामी छक्कडं। शब्दार्थ इच्छाकारेण संदिसह - इच्छापूर्वक आज्ञा विणये - विनय में। प्रदान करें वेयावच्चे -वैयावृत्य में, सेवा सुश्रूषा में। भगवन् - हे गुरु महाराज ! आलावे - बोलने में। अब्भुट्ठि)हं - मैं उपस्थित हुआ हूं। संलावे - बातचीत करने में। अब्भिंतर-देवसिअं - दिन में किये हुए उच्चासणे - (गुरु से) ऊंचे आसन पर अतिचारों को। बैठने में। ऊंचा आसन रखने में | अभिंतर-राइअं - रात में किये हुए समासणे - बराबर के आसन पर बैठने में। अतिचारों को। अंतरभासाए - भाषण के बीच बोलने से। खामेउं - खमाने के लिये। क्षमा उवरिभासाए - भाषण के बाद बोलने में। मांगने के लिए। जं किंचि - जो कोई अतिचार। इच्छं - चाहता हूं। आपकी मज्झ - मुझ से। आज्ञा प्रमाण है। विणय-परिहीणं- अविनय-आशातना। खामेमि - मैं क्षमा मांगता हूं-खमाता हूं। सुहुमं वा बायरं वा - सूक्ष्म अथवा स्थूल। देवसिअं - दिवस संबंधी अतिचार। तुब्भे जाणह, अहं न जाणामि - जिसको ज किंचि - जो कुछ। आप जानते हैं मैं नहीं जानता। अपत्ति - अप्रीतिकारक तस्स - उसका। परपत्तिअं-विशेष अप्रीतिकारक। मि- मेरे लिये। भत्ते - आहार में। दुक्कडं - पाप। 98 For Private personal use only Walm Education international www.jainelibrary

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