Book Title: Jain Dharm me Ishwarvisyahak Manyata ka Anuchintan
Author(s): Krupashankar Vyas
Publisher: Z_Parshvanath_Vidyapith_Swarna_Jayanti_Granth_012051.pdf

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Page 7
________________ डा कृपाशंकर व्यास इसी ज्ञानरूपी पुरुषार्थ से मानव विश्व में सर्वोपरि एवं वन्दनीय बन सकता है। मानव ईश्वर की सृष्टि नहीं है बल्कि ईश्वर ही मानव की सृष्टि है / साधारण से साधारण व्यक्ति भी चरम सोपान ईश्वर पद पर पहुँच सकता है। यही है जैन दर्शन का ईश्वर दर्शन / किसी कवि ने उचित ही कहा है "बीज बीज ही नहीं, बीज में तरुवर भी है। मनुज मनुज ही नहीं, मनुज में ईश्वर भी है।" (चिन्तन की मनोभूमि पृ० 50) डॉ० कृपाशंकर व्यास . 8 A महाकाल सिंधीकालोनी, सांवेर रोड़ उज्जैन-४५६०१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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