Book Title: Jain Darshan aur Vigyan
Author(s): Kanhaiyalal Lodha
Publisher: Z_Hajarimalmuni_Smruti_Granth_012040.pdf

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Page 12
________________ 340 : मुनि श्रीहजारीमल स्मृति-ग्रन्थ : द्वितीय अध्याय -0-0---0--0-0-0--0--0-6 आदि मानवीय गुणों पर आधारित होगा. विज्ञान का विकास आध्यात्मिक क्षेत्र में होगा, इसका समर्थन करते हुए विश्व के महान् वैज्ञानिक डा. चार्ल्स स्टाइनमेज लिखते हैं:-महानतम' आविष्कार आत्मा के क्षेत्र में होंगे. एक दिन मानवजाति को पुन: प्रतीत हो जायगा कि भौतिक वस्तुएँ आनंद नहीं देती और उनका उपयोग स्त्री पुरुषों को सृजनशील तथा शक्तिशाली बनाने में बहुत ही कम है. तब वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं को ईश्वर और प्रार्थना के अध्ययन की ओर उन्मुख करेंगे. जब वह दिन आयेगा, तब मानव जाति एक ही पीढ़ी में इतनी वैज्ञानिक उन्नति कर सकेगी जितनी आज की चार पीढ़ियाँ भी न कर पायेगी. आशय यह है भविष्य में आत्मज्ञान और विज्ञान के मध्य की भेद-रेखा मिटकर दोनों परस्पर घुल-मिल जायेंगे. वह दिन विश्व के लिए वरदान सिद्ध होगा. 1. ज्ञानोदयः अक्तूबर 1956 Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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