Book Title: Jain Darshan aur Vigyan Author(s): Mahendramuni, Jethalal S Zaveri Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 7
________________ उनकी अनेक बहुमूल्य कृतियों से हमने सामग्री का चयन किया है। उनके चरणों में हम कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धा अर्पित करते हैं। अन्य जिन-जिन लेखकों के ग्रंथों, लेखों एवं विचारों का हमने उपयोग किया है, उन सबके प्रति हम दोनों हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। माला की शोभा और सुरभि का श्रेय पुष्पों को ही देना चाहिए। मालाकार तो केवल उनके गुम्फन का निमित्त-मात्र होता है। पुस्तक के निर्माण में और भी अनेक व्यक्तियों का विभिन्न रूप में सहयोग मिला है। मेरे सहयोगी सन्त मुनि धर्मेश कुमारजी ने 'जीवन-शैली' के सामग्री-चयन में तथा मुनि तत्त्वरूचि ने मेरे अन्य कार्यों में सहयोग देकर मेरे कार्य को सरल बनाया है। उन्हें साधुवाद! ब्राह्मी विद्यापीठ के व्याख्यता श्री आनन्दप्रकाश त्रिपाठी तथा डा. पूरणचन्द जैन ने प्रूफरीडिंग के कार्य में उल्लेखनीय तत्परता रखी। जैन विश्व भारती प्रेस की तत्परता भी न होती, तो मुद्रण-कार्य इतना द्रुतगति से न होता। ___ आशा है, जीवन-विज्ञान और जैन विद्या' के विद्यार्थियों को यह पुस्तक न केवल विश्व-विद्यालय की परीक्षा में उर्तीण होने में सहायता करेगी अपितु जीवन की परीक्षा में सफलता का वरण करने में सशक्त अभिप्रेरक की भूमिका निभाएगी तथा वे इसके माध्यम से जीवन विज्ञान' विषय के मूल उद्देश्य–'आध्यात्मिक वैज्ञानिक व्यक्तित्व के निर्माण' को उपलब्ध कर सकेंगे। विद्यार्थियों के अतिरिक्त जो भी जिज्ञासु पाठक इस ग्रन्थ का स्वाध्याय करेंगे, वे भी निश्चित ही लाभान्वित होंगे। ३० सितम्बर १९९२ जैन विश्वभारती लाडनूं मुनि महेन्द्र कुमार जेठालाल झवेरी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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