Book Title: Jain Bauddh Tattvagyana Part 02
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 277
________________ जैन बौद्ध तत्वज्ञान। फूलचद सु वी7 है, दार विशंभर जान । गोकु चद सुजने, देवकुमार सुजान ॥११॥ इत्यादिकके साथ, मुखसे काल बिताय। वर्षाकाळ विताइयो, आतम उरमे भाय ॥१२॥ बुद्ध धर्मका ग्रथ कुछ पढार चित हुलसाय । जैन धर्मके तत्वसे. मिस्त बहुत सुखदाय ॥१३॥ सार तत्व खोजीनके, हित यह ग्रन्थ बनाय । पडो सुनो रुचि धारके, पावो मुग्व अधिकाय ॥१४॥ मगल श्री जिनराज है, मगल सिद्ध महान । आचारज पाठक परम, साधु नमू मुख खान ॥१४॥ कार्तिक वदि एकम दिना, शनीवारके प्रात । ग्य पूर्ण मुखसे किया, हो जगमें विख्यात ॥१६॥ बौद्ध जैन शब्द समानता। सुत्तपिटकक मझिमनिकाय हि दी अनुवाद त्रिपिटिकाचार्य राहुक साकृत्यायन कृत ( प्रकाश महाबोर सोसायटी सारनाथ बनारस सन् १९३३ से बौद्ध वाक्य रेकर जन ग्रथोंस मिलान )। शब्द बौद्ध ग्रन्थ जैन ग्रन्थ (१) अचेलक चूलमसपुर सूत्र नीतिसार इदनदिकृत श्लोक ७५ (२) भदतादान चूलसकुल दाय) तरवार्थ उपास्वामी म. ७ सूत्र ७९ सूत्र १५

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