Book Title: Jain Bal Gutka Part 01
Author(s): Gyanchand Jaini
Publisher: Gyanchand Jaini

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Page 14
________________ अनबालगुटका प्रथम भाग। १२ अथ २४ तीर्थंकरों की माताओं के १६ स्वप्न (भाषा छंदबन्दपाठ) सुर कुब्जर सम कुज्जरधवल धुरंधरो । केहरि केसर शोभित नखशिख सुन्दरो । कमला कलश न्हौन दोउ दामसुवा वने । रविशशि मण्डल मधुर मीन युगपावने। पावन कनक घट युग्मपुरण कमल सहित सरोवरो । कल्लोल माला 'कुलितसागर सिंह पीठ मनोहरो । रमणीक अमर विमान फणिपति भवन रवि छवि छाजिये । रुचिरत्न राशि दिपन्त पावक तेजपुञ्ज विशजिये । (संस्कृत) गजेंद्र वृष सिंहपोत कमलालया दाम क, शशांक रविमोन कुम्भ नलिना कराम्मो निधि, मृगाधिपघृतासनं सुर विमान नागालय, मणि प्रचय वन्हि नासह विलोकितं मंगलम् अथं २४ तीर्थंकरों की माताओं के १६ स्वप्नों के १६ चित्र | तीर्थकरों के गर्भ में आने के समय जो उनकी माताओं को १६ स्वप्न दिखाई देते हैं उन १६ स्वप्न के चित्र इस प्रकार हैं। १ पहले स्वप्ने में श्वेत वर्ण सुर हस्ती दीखे है । Ch

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