Book Title: Jain Bal Gutka Part 01
Author(s): Gyanchand Jaini
Publisher: Gyanchand Jaini

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Page 27
________________ जैनबालगुटका प्रथम भाग। २२-नेमिनाथ के शंख का चिन्ह ।। पहिला भव वैजयंत नामा दूसरा अनुत्तर विमान जन्म नगरी शोरीपुर वा द्वारिका पिताका नाम समुद्रविजय माताका नाम शिवा देवी काय ऊंची १०धनुष रंग मोरके कंठ समान श्याम आयुरहजार वर्ष दीक्षावृक्ष मेषशृंग, गणधर ११निर्वाणासन खडगासननिर्वाण स्थान गिरिनार पर्वत अन्तर इनसे पौने चारासीहजारवर्षगये पीछे पाश्र्वनाथ भये ॥ नोट-नेमिनाथ बाल ब्रह्मचारी भये न विवाह किया न राज्य किया, फुमार अवस्था में ही दीक्षा ली। HLA २३-पार्श्वनाथ के सर्प का चिन्ह । पहिला भव आनत नामा १३वां स्वर्ग जन्म नगरी काशी पुरी पिता का नाम अश्वसेन माताका नाम वामा काय ऊंची ९हाथ रंग काचीशालिाहरधान)समानहराभायु सौ वर्ष दीक्षा वृक्ष धवल गणधर१०निर्वाण आसनखडगासन निर्वाणस्थान सम्मेदशिखर,अन्तरानसेनदासौ वर्षगये पोछे बर्द्धमान भये नोट-पार्श्वनाथ बालब्रह्मचारी भये न विवाह किया न राज्य किया, कुमार अवस्था में ही दीक्षा ली ॥ २४-महाबीर के शेरका चिन्ह । पहिलामव पुष्पोखर विमान जन्म नगरीकुण्डलपुरपिता का नाम सिद्धार्थ माता का नाम । प्रियकारिणीप्रसला)कायऊंची ७ हाथ, रंगस्वर्ण समान पीला आ. ७२वर्ष दीक्षा वृक्ष शाल गणधर११ निर्वाणासन खड़ा । गासननिर्माण स्थानपावापुर। यह बाल ब्रह्मचारी भये न विवाह क्यिा न राज्य किया कुमार भवस्था में ही 'दीक्षा ली जब यह मोक्षगये तब चौथे कालके तीनवर्ष साढे आठ महीने बाकी रहे थे। AM PR क । - - 20 SONGS SSAGE AMDHANOlita MNIS S

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