Book Title: Jain Agamo me Ayurved Vishyaka Vivaran
Author(s): Tejsinh Gaud
Publisher: Z_Umravkunvarji_Diksha_Swarna_Jayanti_Smruti_Granth_012035.pdf

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Page 2
________________ जैन आगमों में आयुर्वेद विषयक विवरण | ३२५ व्याधियों के प्रकार-व्याधियों की उत्पत्ति जिन कारणों से होती है उन्हें चार प्रकार का बताया गया है । यथा (१) वातिक-वायु के विकार से उत्पन्न होने वाली व्याधि । (२) पैत्तिक-पित्त के विकार से उत्पन्न होने वाली व्याधि । (३) श्लैष्मिक-कफ के विकार से उत्पन्न होने वाली व्याधि । (४) सान्निपातिक-वात, पित्त और कफ के सम्मिलित विकार से उत्पन्न होने वाली व्याधि ।। यदि सम्पूर्ण प्रागम साहित्य का अध्ययन, विवेचन किया जावे तो उसके अनुसार रोगोत्पत्ति के नौ कारण होते हैं (१) प्रतिमाहार, (२) अहिताशन, (३) अति निद्रा, (४) प्रति जागरण, (५) मूत्रावरोध (६) मलावरोध, (७) अध्वगमन, (८) प्रतिकूल भोजन और (९) काम-विकार । यदि इन नौ कारणों से मनुष्य बचता रहे तो उसे रोग उत्पन्न होने का भय बिल्कुल नहीं रहता। जैन आगमों का अवलोकन करने से ज्ञात होता है कि उसमें अहिंसा तत्त्व की प्रधानता है और उसमें अहिंसा को सर्वोपरि प्रतिष्ठापित किया गया है। प्राचारांगसूत्र' का एक उदाहरण इस बात को सिद्ध करने के लिये पर्याप्त है। वहां कहा गया है-अपने को चिकित्सा-पंडित बताते हुए कुछ वैद्य चिकित्सा में प्रवृत्त होते हैं । वह अनेक जीवों का हनन, भेदन, लुम्पन, विलुम्पन और प्राण-वध करते हैं। 'जो पहले किसी ने नहीं किया, ऐसा मैं करूगा' यह मानता हुआ वह जीव-वध करता है । वह जिसकी चिकित्सा करता है, वह भी जीव-वध में सहभागी होता है। इस प्रकार की हिंसा-प्रधान चिकित्सा करने वाले अज्ञानी की संगति से क्या लाभ ! जो चिकित्सा करवाता है, वह भी अज्ञानी है। अनगार ऐसी चिकित्सा नहीं करवाता । इस प्रकार यहाँ चिकित्सा में हिंसा का निषेध किया गया है। चिकित्सक-वैद्य या चिकित्सक चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे (१) आत्मचिकित्सक, न परचिकित्सक-कोई वैद्य अपना इलाज करता है, किंतु दूसरे का इलाज नहीं करता । (२) परचिकित्सक, न आत्मचिकित्सक कोई वैद्य दूसरे का इलाज करता है, किंतु अपना इलाज नहीं करता। (३) आत्मचिकित्सक भी, परचिकित्सक भी-कोई वैद्य अपना भी इलाज करता है और दूसरे का भी इलाज करता है। १. वही, ४।४।५१५ २. २०६।९४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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