Book Title: Jain Agamo me Ayurved Vishyaka Vivaran
Author(s): Tejsinh Gaud
Publisher: Z_Umravkunvarji_Diksha_Swarna_Jayanti_Smruti_Granth_012035.pdf

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Page 5
________________ जैन आगमों में आयुर्वेद विषयक विवरण | 329 विशेष में तैयार की हुई औषधि तथा छाल, वल्ली मूल, कंद, पत्र, पुष्प, फल, बीज, शिलिका (चिरायता प्रादि कड़वी औषधि), गुटिका औषधि आदि से उपचार करते थे। इस प्रकार हम देखते हैं कि जैन आगम ग्रंथ यद्यपि आध्यात्मिक ग्रंथ हैं, फिर भी प्रसंगानुसार उनमें आयुर्वेद विषयक महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है। यहां तो कुछ ही आगम ग्रंथों को आधार बनाया गया है, जिनमें आयुर्वेद के अंग, वैद्य के प्रकार, आयुर्वेद के प्रकार, चिकित्साशाला और चिकित्साविधि का उल्लेख प्राप्त हुआ है। यदि समग्र आगम साहित्य का अनुशीलन किया जाय तो मेरा दृढ विचार है कि आगमों से आयुर्वेद विषयक एक अच्छी पुस्तक तैयार हो सकती हैं। विषय विशेषज्ञों से इस दिशा में कुछ प्रयास करने का प्राग्रह है। इस अनुशीलन से यह भी संभव है कि वर्तमान युग में प्रचलित कुछ असाध्य रोगों के उपचार का मार्ग प्रशस्त हो। 00 -11 अंकपात मार्ग गली नं. 2, काजीवाड़ा उज्जैन (म.प्र.) 456006 1. (i) ज्ञाताधर्मकथाङ्ग, 13122 (ii) विपाकसूत्र, 1123 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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