Book Title: Illustrated Namokara Mahamantra Author(s): Shreechand Surana, Surendra Bothra Publisher: Diwakar PrakashanPage 21
________________ आत्म-रक्षा इन्द्र कवच. (क्रमशः) Q एसो पंच णमोकारो वज्र शिला प्राकारः (चारों तरफ वज्रमय परकोटे की धारणा करें कि इस दुर्ग में मैं सुरक्षित हूँ) ७ सब पाव प्पणासणो अमृतमयी परिखा। (परकोटे के बाहर अमृत से भरी खाई की धारणा करें) मंगलाणंच सब्वेसिं महा वजाग्नि प्राकार : (अपने चारों तर्फ अग्निमय परकोटे की कल्पना करें) पढमं हवइ मंगलं उपरि वज्रशिला (मस्तक पर वज्र शिला धारण किये स्वयं को चारों तरफ से सुरक्षित समझें) जीवन में आत्म-रक्षा सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है। मंत्र शास्त्र के अनुसार कोई भी मंत्र साधना करने से पूर्व आत्मरक्षा-कवच धारण किया जाता है। ताकि साधना में किसी प्रकार का भय तथा विघ्न न आवे। सामान्यतः प्रतिदिन प्रातः काल घर से बाहर निकलने के पूर्व णमोकार मंत्र पाठ का आत्मरक्षा कवच धारण कर लेने से बाहरी भय, उपद्रव, दुर्घटना आदि से रक्षा होती है, दुष्ट शक्तियों का प्रभाव तथा प्रहार नहीं चल सकता। __ मंत्र बोलते समय चित्र में दिखाई विधि के अनुसार शरीर के अंगों पर न्यास करना चाहिए और उसी प्रकार की भाव-संकल्पना के साथ स्वयं को सुरक्षित होने का दृढ़ विश्वास करें। विशेष परिशिष्ट में देखें।Page Navigation
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