Book Title: Holistic Science of Life and Living Author(s): Vitrag Vignan Charitable Research Foundation Publisher: Vitrag Vignan Charitable Research FoundationPage 47
________________ कविराज ये विश्व में सुख और शांति हो गीत, संगीत एवं कण्ठः कविराज नवनीत संघवी ये विश्व में सुख और शांति हो ऐसी करुणा कर देना; दिल भीतर के सब तिमिर हरो, तरण-तारण परमात्मा । ज्ञानांजन हे प्रगट पुरुष, सिद्धेश्वर शिल्पी सन्मुखः सब जीव को आतम-प्राप्ति यो, एक स्वभाव है प्रकाश का, निरावरणी व्यक्तात्मा । ये विश्व में... चाहे किसी भी दीप में हो। पश्चम पूरब सूरज हो, निःसंशय ॐ महेश्वरा, निष्पक्षी है किरणात्मा ये विश्व में.... - सुमधुर भाव भयभंजक मूल शरण, प्रफुल्लित स्वानन्द उदयकरा; शुद्ध अंतः स्तल की जगमग ज्योत, केवल ज्ञान में स्थिर करना । ये विश्व में.. । जब आयु अंतिम आ जाए, आपसे कटते जनम-मरण; ये विश्व में... त्वं सु-चरणों में ले लेना। ये विश्व में.... - • वाणी में इस गीत को श्रवण करने हेतु लिंक पर क्लिक करें. www.holisticsceience.org 47 | Holistic Science of Life & Living Vol. 1 May 2014Page Navigation
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