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कविराज
ये विश्व में सुख और शांति हो
गीत, संगीत एवं कण्ठः कविराज नवनीत संघवी
ये विश्व में सुख और शांति हो
ऐसी करुणा कर देना;
दिल भीतर के सब तिमिर हरो,
तरण-तारण परमात्मा ।
ज्ञानांजन हे प्रगट पुरुष,
सिद्धेश्वर शिल्पी सन्मुखः
सब जीव को आतम-प्राप्ति यो,
एक स्वभाव है प्रकाश का,
निरावरणी व्यक्तात्मा । ये विश्व में...
चाहे किसी भी दीप में हो।
पश्चम पूरब सूरज हो,
निःसंशय ॐ महेश्वरा,
निष्पक्षी है किरणात्मा ये विश्व में....
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सुमधुर
भाव भयभंजक मूल शरण,
प्रफुल्लित स्वानन्द उदयकरा;
शुद्ध अंतः स्तल की जगमग ज्योत,
केवल ज्ञान में स्थिर करना ।
ये विश्व में..
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जब आयु अंतिम आ जाए,
आपसे कटते जनम-मरण;
ये विश्व में...
त्वं सु-चरणों में ले लेना। ये विश्व में....
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47 | Holistic Science of Life & Living Vol. 1 May 2014