Book Title: Hindu Society of North Carolina Author(s): Hindu Society of North Carolina Publisher: Hindu Society of North CarolinaPage 62
________________ 60[Page संकटमोचन हनुमानाष्टक बाल समयरविभक्षिलियो तब, तीनहुँ लोक भयो अँधियारो। ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सो जात न टारो॥ देवन आनि करि विनती तब, छाडि दियो रवि कष्ट निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारा॥ को बालि की त्रास कपीस बसै, गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो। चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिये कौन विचार विचारों। कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो॥ को. अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो। जीवत ना बचिहाँ हम सों, जु बिना सुध लाए इहां पगु धारो॥ हारि थके तट सिंधु सबै, तब लाय सिया सुधि प्राण उबारो॥को रावण त्रास दई सिय को, जब राक्षसि सो कहि सोक निवारो। ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो॥ चाहत सीय अशोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो॥ को. बाण लग्यो उर लछिमन के, तब प्रान तजे सुत रावण मारो। लै गृह वैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो॥ आनि संजीवन हाथ दई, तब लछिमन के तुम प्राण उबारो॥को. रावण यद्ध अजान कियो तब, नाग की फांस सवै सिर डारो। श्री रघनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो॥ आनि खगेश तबै हुनमान. ज बन्धन काटि सत्रास निवारो॥को बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पाताल सिधारो। देविहि पूजि भलि विधि सों, बलि देऊ सबै मिलि मंत्र विचारो। जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावण सैन्य समेत संहारो॥को काज कियो बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि विचारो। कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो॥ बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो॥ को. दोहा- लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर। ___बज़ देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर॥ December 20.0.6 HINDU SOCIETY OF NORTH CAROLINA CELEBERATION AND APPRECIATION (1975-2006)Page Navigation
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