Book Title: Hindu Law
Author(s): Chandrashekhar Shukla
Publisher: Chandrashekhar Shukla

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ दारियां कहांपर कैसी हैं इत्यादि अनेकानेक क़ानूनी बातोंका पूर्ण ज्ञान इस कानूनके द्वारा हो सकता है । अदालतों में प्रायः आधे मुकद्दमे इस कानून सम्बन्धी फैसल होते हैं एवं हिन्दुओंके तो बहुत अन्शमें घरू झगड़े इसी कानून से सम्बन्ध रखते हैं। मेरी उमरका एक बड़ा भाग कानूनी पेशेमें बीता तथा बड़े बड़े मशहूर वकीलोंके साथ काम किया। मेरे अनुभवमें यह बात बहुत खटकी कि इस हिन्दू लॉ के न जानने के कारण हिन्दू समाजकी बहुत बड़ी हानि हो रही है। अपने हकोंके न जानने के कारण वे बरबाद होगये तथा अनधिकारी मालामाल होगये । सन् १९१२ ई० में जब मुझे स्वर्गीय सेट खेमराज श्रीकृष्णदास (श्री वेङ्कटेश्वर प्रेस बम्बईके मालिक)के दत्तककामुक़द्दमा लड़ने के लिये बम्बई जाना पड़ा और सिर्फ इसी मुक़द्दमेके चलाने के लिये लग भग ११ साल वहांकी अदालतों व हाईकोर्ट में काम करना पड़ा उसी अवसरमें मैंने बड़े परिश्रम और प्रेमके साथ यह ग्रन्थ हिन्दीमें लिखा। बम्बई हाईकोर्ट की लाइब्रेरी द्वारा मुझे बहुत कुछ इस ग्रन्थमें हवाला देनेका मसाला प्राप्त हुआ था। जटिल प्रश्नोंके तय करने के लिये मुझे कानूनके धुरन्धर विद्वान्मेंसे पूर्ण सहायता मिली । मैं कह सकता हूं कि अगरेजीमें लिखे कई एक हिन्दू लॉ में मूल सिद्धांत विषयक भारी अशुद्धियां हैं। उनका नाम इसलिये नहीं बताना चाहता कि वृथाका वितण्डावाद खड़ा हो जायगा। यह ग्रन्थ अपने ढङ्गका हिन्दीमें पहला ग्रन्थ है हिन्दी जानने वालोंको हिन्दू धर्म शास्त्रीय कानून जाननेके लिये प्रधान तथा एकमात्र साधन है । कानून पेशा सजनोंको इसके द्वारा इसलिये बड़ी मदद मिलेगी कि वे अगरेजी क़ानूनके साथ साथ आर्य बचनोंकी तुलना कर सकेंगे। ग्रन्थ लिखने के समय मेरी यह दृष्टि रही है कि वह विषय पहले हमारे आचायोने कैसा माना है और उसमें से अब अगरेज़ी अदालतें कितना भाग किस रूपमें मानती हैं तथा उस सम्बन्धमें हाल तककी नज़ीरोंका क्या प्रभाव पड़ा है पूरा लिखा जाय । बहुत जगहोंपर जैसे वसीयत आदिमें मुझे आचार्योके बचन नहीं मिले वापर केवल अङ्गरेज़ी क़ानूनका ही उल्लेख किया है। भाषा मामूली बोलचालकी लिखी गई है ताकि हमारे भाइयोंको समझने में तकलीफ़ न हो। इस ग्रन्थमें क्या खूबियां हैं अथवा इसके द्वारा जनताको विशेष करके हिन्दुओंको कितनी सहायता मिल सकती है, या कितना परिश्रम इसके लिखने आदिमें हुआ है इन सब बातोंका निर्णय आपके हाथों छोड़ा गया है। इस बार यह ग्रन्थ डेढ़ वर्षमें छपकर पूरा हुआ। असम्बली में हिन्दूला पर असर डालने वाले कानूनों के बिल पेश हुये, इसलिये हमें विवश होकर उसकी प्रतीक्षा करना पड़ी और ज्योंही वे कानून बन गये और सरकारने कृपा करके हमारे पास भेजे उसी समय व्याख्या और तत्सम्बन्धी कानूनी विषयों सहित अलंकृत करके इसमें यथा स्थान लगा दिये गये । 'अन्तमें बाल विवाह निषेधक ऐक्ट नं० १६ सन १६२६ ई० पास हुआ उसे भी सर्वाङ्गपूर्ण

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 1182