Book Title: Hindu Dharm Kosh
Author(s): Rajbali Pandey
Publisher: Utter Pradesh Hindi Samsthan Lakhnou

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Page 720
________________ हैहय-ह्लादिनी हैहय-यादवों की एक शाखा । ये लोग कुछ समय तक होत्र--होम करने की क्रिया अथवा अज्ञ । दे० 'होम' । वीतहव्य ( यज्ञ का त्याग करने वाले ) थे। भार्गवों से। होम-अग्नि में देवताओं के लिए किसी वस्तु का विधिइनका संघर्ष था। इसी वंश के सहस्रार्जुन कार्तवीर्य का पूर्वक प्रक्षेप । यह पञ्च महायज्ञों में से एक यज्ञ है। मनु परशुराम से युद्ध हुआ था। पीछे हैहयों की एक शाखा का कथन है : ब्राह्मण और वैदिक कर्मकाण्ड की समर्थक बन गयी । देः अथर्ववेद, ब्रह्मगवीसूक्त । अध्यापनं ब्रह्मयज्ञः पितृयज्ञस्तु तर्पणम् । होता-ऋग्वेद का पाठ करने वाला । अमरकोष होमो देवो बलिभौं तो नयज्ञोऽतिथिपूजनम् ॥ (२.७.१७ ) में इसका अर्थ 'ऋग्वेदवेत्ता' बताया गया होमक-होता का पर्याय । मत्स्य पुराण (९३.१२८-१२९) है। 'दायभाग' टीका में श्री कृष्णतकलिंकार ने इसका में आठ प्रकार के होता बतलाये गये हैं : अर्थ 'होमकर्ता' किया है। उनका कथन है, 'विशिष्ट देशावच्छिन्नप्रक्षेपोपहितहविस्त्यागस्य होमत्वात् प्रक्षे पूर्वद्वारे च संस्थाप्य वह्व.चं वेदपारगम् । पस्य तदभिधाननिमित्तमित्यर्थः । तेन धात्वर्थताव यजुर्विदं तथा याम्ये पश्चिमे सामवेदिनम् ।। च्छेदकप्रक्षेपानुकूल व्यापारयति ऋत्विजि होता इत्यादि अथर्ववेदिनं तद्वदुत्तरे स्थापयेद् बुधः । व्यपदेशः ।" होमक्रिया में मुख्यतः ऋग्वेद मन्त्र पढ़कर अष्टौ तु होमकाः कार्या वेदवेदाङ्गवेदिनः ।। आहतियाँ दी जाती है। अतः होता ऋग्वेदवेत्ता ही ह्लादिनी-एक विशेष शक्ति । यह भगवान की ही सुखरूप होता है। शक्ति है जो विश्व को आनन्द प्रदान करती है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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