Book Title: Hetu ke Rup Author(s): Sukhlal Sanghavi Publisher: Z_Darshan_aur_Chintan_Part_1_2_002661.pdf View full book textPage 4
________________ शिकार बने / किसी ने कहा कि उस कारिकाके कर्ता और दाता मूलमें सीमन्धरस्वामी नामक तीर्थङ्कर हैं। किसीने कहा कि सीमन्धरस्वामीसे पद्मावती नामक देवता इस कारिकाको लाई और पात्रकेसरी स्वामीको उसने वह कारिका दी। इस तरह किसी भी तार्किक मनुष्यके मुख में से निकलनेकी ऐकान्तिक योग्यता रखनेवाली इस कारिकाको सीमन्धरस्वामाके मुखमैं से अन्धभक्तिके कारण जन्म लेना पड़ा-सन्मतिटी० पृ० 566 (7) / अस्तु / जो कुछ हो प्रा० हेमचन्द्र भी उस कारिकाका उपयोग करते हैं। इतना तो अवश्य जाम पड़ता है कि इस कारिकाके सम्भवतः उद्भावक पात्रस्वामी दिगम्बर परम्पराके ही हैं। क्योंकि भक्तिपूर्ण उन मनगढन्त कल्पनाओंकी सृष्टि केवल दिगम्बरीय परम्परा तक ही सीमित है। ई० 1636 [प्रमाण मीमांसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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