Book Title: Harmann Jacobi na Lekhono Jawab Author(s): Gambhirvijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ से = से = तस्य = रीतें केहनारा साधुना, अंतो अभिहट्ट = अन्तरभिहृत्य परिभाज्य बहुअट्ठियं मंसं परिभाएत्ता = बह्वस्थिकं मांसं धर्मद्वेषादिभावेन साधुदानाय घणा हाडवाला मांस प्रतें साधुना धर्म उपर द्वेष परिणामादिकें करीने, हिडु = निहत्य - बलात्कारे करी, पडिग्गहगंसि = काष्टच्छविकादौ लाकडानी काचली प्रमुखमा, दलएज्जा = दद्यात् - देवा मांडे, तहप्पगारं पडिगाहगं तथाप्रकारकं प्रतिग्राह्यं तेवा प्रकारना ग्राह्य पदार्थनें, "परहत्थंसि वा परपायंसि वा अफासुयं अणेसणिज्जं लाभे संते जाव नो पडिगाहेज्जा" । परहत्थंसि = गृहस्थहस्तस्थं घरना धनीना हाथमां रह्यो, वा अथवा, परपायंसि = गृहिभाजनस्थं - घरधनीना भाजनमां रह्यो ज, अफासुयं तद्गतास्थ्यादित्यागेनाऽन्यजीवहिंसाहेतुकं ते मांहिला हाडकादिक नाखवाथी अनेरा कीडी - कुंथु प्रमुख जीवोंनी हिंसानुं कारण छे माटे, अणेसणिज्जं ईप्सितप्रयोजनायामनेषणीयं - पोतानी इच्छित कार्यनी सिद्धिमा नहि इच्छवा लायक, लाभे संते लब्धे सति मिलते छतें पण, णो पडिगाहेज्जा - न प्रतिगृह्णीयात् अनुसन्धान- ४१ परो स परो गृहस्थः ते पर जे मांस देनार गृहस्थ जन, ते साधुने, एवं वदंतस्स = एवं वदमानस्य प्रथम जनावेली समीपें आवीनें, - = = = Jain Education International = — न लेयसे, आहच्च पडिगाहिए सिया स पूर्वोक्तोऽयोग्यमांस ( तत् पूर्वोक्तमयोग्यमांसम् ) आहत्य गृहीतः स्यात् ते प्रथम कहेलो अजोग मांस सहसात्कारे नाखी देवाथी लेवाय गयो होय तो, तन्नो हित्ति वएज्जा = साधु देनारनें हा धिक ए प्रकारे न कहे क्रोधरूप छे माटे, णो अणिहि त्ति वएज्जा हे अजाण एम पण न कहे, 11 - वा से तमायाय = ते साधु ते मांस लेईने, एगंतमवक्कमेज्जा = एकांत प्रदेशे जाय, अहे नीचे घनी उंडान सूधी दग्ध थयेली एवी, आरामंति वननी भूमि, उवस्सयंसि वा कोई मकाननी भूमि जेमां, अप्पंडए कीडी प्रमुखना इंडा न होय, जाव संताणए यावत् शब्दथी बीजअंकुरा- घास - उदेहि- जीवातना दर-पाणी-करोलीया जाल प्रमुख न होय तिहां, - - = = For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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