Book Title: Haribhadrasuri Virachit Sam Sanskrit Prakrit Jin Sadharan Stavan Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 2
________________ [1011 एवं संस्कृतवचनैः प्राकृतवचनैश्च सर्वथा साम्यम् / / विदधाविनुतो मे जिनेश्वरो भवतु सुखहेतु // 8 इति सर्वश्री जिन साधारणस्तवनं समसंस्कृतं श्रीहरिभद्रसूरिकृतम् // नोंध : - हरिभद्राचार्यनी प्रसिद्ध "संसारदावानल०"ए समसंस्कृत-प्राकृत स्तुतिथी परिचित होय तेमने उपर निर्देशेला 1, 2, 3, ए अंकोवाळो पाठ जोतां ज तेना जेवी ज संसारदावानल० गत शब्दावली अवश्य याद आवशे; 1. बहुलपरिमलालीढलोलालिमाला० 2. संसारदावानलदाहनीरम्० 3. धूली हरणे समीरम् // मायारसादारण० ---x---- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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