Book Title: Guru Gun Likhya na Jay
Author(s): Devendranath Modi
Publisher: Z_Jinvani_Guru_Garima_evam_Shraman_Jivan_Visheshank_003844.pdf

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Page 1
________________ 10 जनवरी 2011.. जिनवाणी 139 गुरु गुण लिख्या न जाय __ श्री देवेन्द्रनाथ मोदी - जीवन जीने के गुर सिखाकर मोक्षमार्ग की ओर जो ले जाए वह गुरु है। गुरु की विशेषताओं को लेखक ने विभिन्न स्रोतों से प्रस्तुत किया है। -सम्पादक मनुष्य अपने जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखता है। आशा-निराशा के द्वन्द्वों में फंसा रहता है। अनेक संकल्पों-विकल्पों के झूले में झूलता रहता है। वह कुछ समझ नहीं पाता कि क्या उचित है और क्या अनुचित्त ? वह क्या करे, कहाँ जाए? ऐसी स्थिति में उसे किसी ऐसे पूर्ण पुरुष की तलाश रहती है जो उसके इस संताप को शीतलता प्रदान कर सही मार्ग बता सके । वह पूर्ण पुरुष है 'गुरु' । गुरु ही जीवन के तमोगुण और रजोगुण को कम करके सत्त्वगुण की ओर ले जाने में सहायता करता है। गुरु अर्थात् 'गुर' सिखाने वाला- जो जीवन जीने के गुर सिखा कर मोक्ष का मार्ग बताये वही है गुरु। ___ भौतिक प्रगति के क्षेत्र में तो मानव ने विज्ञान के माध्यम से काफी प्रगति करली है तथा अधिकता के लिए प्रयत्नशील भी है, किन्तु जान नहीं पा रहा है कि उसके जीवन का लक्ष्य क्या है, ध्येय क्या है, उद्देश्य क्या है? इस द्वन्द्व में उसे एक मार्गदर्शक, प्रज्ञावान और अनुभवी पूर्ण पुरुष की आवश्यकता होती है जो उसे सही राह बता सके, सच्चा लक्ष्य दिखा सके, सच्चा विवेक जगा सके । वह पुरुष है 'सद्गुरु'। महासती श्री मुदित प्रभाजी म.सा ने GURU शब्द को निम्नानुसार परिभाषित किया हैGGood Sense (अच्छी सोच देने वाले) _U=Understanding (हर्षवशोक के समय अच्छी समझ देने वाले) R=Reborn (नए व अच्छे संस्कारों को जन्म देने वाले) U=Union (संघ को शक्ति देने वाले प्रेरक) ____ अन्तस् के तमस को मिटाने के लिए, अज्ञान के अन्धकार को मिटाने के लिए सद्गुरु की आवश्यकता होती है । वही अज्ञान-तिमिर को मिटाने में सक्षम है। कहा भी है अज्ञानतिमिरान्धानां ज्ञानांजनशलाकया। चक्षुरुन्मीलितं येन, तस्मै श्री गुरवे नमः॥ (अज्ञानरूपी अन्धकार को मिटाकर ज्ञानरूपी अंजनशलाका से बुद्धि-विवेक के अन्तःचक्षु को खोलने वाले गुरुदेव कोसादर वन्दन, शतशः नमन ।) Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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