Book Title: Guru Garima Author(s): Publisher: Z_Jinvani_Guru_Garima_evam_Shraman_Jivan_Visheshank_003844.pdf View full book textPage 2
________________ 10 जनवरी 2011 जिनवाणी 121 अर्थः- उनकी मन, वचन एवं कर्म से नित्य उत्तराधना करनी चाहिए। गुरु की सन्निधि में बिना लज्जा के दीर्घ दण्ड के समान अर्थात् दण्डवत् प्रणाम कर गुरु की आराधना करनी चाहिए । पतन्तो नरकार्णवे । संसारवृक्षमारूढाः येन चैवोद्धृताः सर्वे तस्मै श्रीगुरवे नमः ||31 || अर्थः- संसार रूपी वृक्ष पर आरूढ़ (क्रोध, मान, माया, लोभ, राग और द्वेष से युक्त) तथा नरक रूपी अर्णव में गिरते हुए लोगों का उद्धार करने वाले गुरु को नमस्कार है। गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुरेव परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ||32|| अर्थः- (गुणों का सर्जन करने से ) गुरु ही ब्रह्मा है, (सदाचरण को पुष्ट करने से ) गुरु ही विष्णु है और (भीतर के कर्म कलिमल का नाश करने से ) गुरु ही शिव है। गुरु ही ( मुक्ति का मार्ग दिखाने से) परम ब्रह्म है, उन गुरु को नमस्कार है । अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया । चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥34॥ अर्थः- अज्ञान रूपी अन्धकार से अन्धे हुए जीवों के नेत्र को जो अपनी ज्ञानरूपी अञ्जनशलाका से खोल देते हैं, ऐसे गुरुदेव को नमन है । शिवे क्रुद्धे गुरुस्त्राता गुरौ क्रुद्धे शिवो न हि । तस्मात्सर्वप्रयत्नेन श्रीगुरुं शरणं व्रजेत् ॥44 | अर्थः- शिव के क्रुद्ध होने पर गुरु रक्षा करता है, किन्तु गुरु के रुष्ट होने पर शिव रक्षा करने में समर्थ नहीं होते । अतः सारे प्रयत्नों से गुरु की शरण में जाएं । श्री गुरोः परमं रूपं विवेकचक्षुषोऽमृतम् । मन्दभाग्या न पश्यन्ति अन्धाः सूर्योदयं यथा ॥ 49 || अर्थ :- विवेक - चक्षु को नहीं देखते हैं वैसे ही मन्दभाग्य वाले शिष्य श्री गुरु के उस अमृतरूप को नहीं देखते हैं । की प्राप्ति के लिए श्रीगुरु का परम रूप अमृततुल्य है । जैसे अन्धे व्यक्ति सूर्योदय यस्य स्मरणमात्रेण ज्ञानमुत्पद्यते स्वयम् । य एव सर्वसंप्राप्तिस्तस्मै श्री गुरवे नमः ||69 || अर्थः- जिसके स्मरण मात्र से ही ज्ञान स्वयं उत्पन्न हो जाता है, जो सर्वसम्प्रात है, उस गुरु को नमस्कार है । Jain Educationa International न गुरोरधिकं तत्त्वं न गुरोरधिकं तपः । तत्त्वम् ज्ञानात्परं नास्ति तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥74 || For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3