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(२००) गुणस्थानक्रमारोह. रही हुई चार अघाती कर्म प्रकृतियोंको क्रमसे उदय उदीरणा द्वारा क्षय करता हुआ अयोगि केवलि गुणस्थानको प्राप्त करके सिद्धि गतिमें सिधारता है, अर्थात् सर्व कर्मोसे मुक्त होकर मुक्ति पदको प्राप्त करता है।
समाप्त.
जाहिर खबर. परिशिष्ठ पर्व पहला भाग किंमत १२ आने, परिशिष्ठ पर्व दूसरा भाग किंमत ८ आने. .. ____ इस पुस्तकमें भगवान् महावीर स्वामीसे पीछेका इतिहास है। जंबुस्वामी, वजस्वामी आदि महात्माओका विस्तारपूर्वक सञ्चरित्र सरल हिन्दीमें दर्ज है ! पुस्तकके अंदर कथायें एकसे एक वढकर रसिक तथा शिक्षापद हैं इसलिए पाठकोंको अवश्य पढने लायक है.
प्रेस में-रत्नेन्दु-यह बडा ही अनोखा अपूर्व उपन्यास है, इस पुस्तकको हाथमें लेकर संपूर्ण वांचे विना छोडनेको चित्त नहि करता। मूल्य फक्त २ आने.
प्रेसमें-जिनगुणमंजरी-यह पुस्तक गजल, कवाली, ठुमरी, छप्पे आदिसे परिपूर्ण है, निदान इसमें जिनेश्वर देवके गुणगर्भित स्तवन तथा वैराग्यगर्मित अनेक पद हैं।
उपरके लिखे पुस्तक और गुणस्थानक्रमारोह किं. १२ आने,
ये चारों पुस्तक मंगानेवालेको जिनगुणमंजरी पुस्तक उपहार तरीके दी जायगी। . अन्यथा टपाल खर्च सहित २ आने.