Book Title: Gora Badal Padmini Chaupai
Author(s): Hemratna Kavi, Udaysinh Bhatnagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan
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________________ [खंड कवि हेमरतन कृत भमर घणा गुंजारव कर, पदमिणि-परिमल मोह्या फिर। पदमिणि तण पटंतर एह, भूला भमर न छंडई देह // 87 // पदमिणि' रूप कही कुण सकइ', इंद्राणीथी अधिकी' जकह। रतनसेन परणी पदमिणि', 'आस सँपूरण हुई मन तणी // 88 // दिन दस पंच' तिहाँ सुखि रही, रतनसेन नृप अवसर लही। "सिंघलपतिसु शिष्या करइ', "विनय-वचन मुख अति उच्चरई // 89 // सिंघलपति' साच' भूपाल', 'आदर अधिक करी सुविशाल'। 'रंगरली बहिनडनी बहू, सिंघलन पति पूरइ सह // 9 // सॅन घणी ले सिंघलनाथ, रतनसेन नह हूओ साथि। सेंना सगली समुद्र मझारि', प्रवहण पूरि कराय:' पारि // 91 // समुद्र पर पुहचावी करी, सिंघलनाथ शिष्या करी। प्रीति रीति पालिउँ पडिवनउँ', व्यु ही अधिक वधारिउ विन // 92 // 'सिंघलपति पाछा संचय', 'रतनसेन डेरइ ऊतया। भाट कला भुंजाई तणा, डेरइ डेरइ दीसइँ घणा // 93 // // 87 // 1 सदा E, / 2 गुंजारवि / / 3 करै DE / 4 पदमणि D, पदमिण / 5 फिर DI / 6 तणो CDE / 7 एइ 0 / 8 भोगी / 9 छडै D, छाँडै / 10 देह / // 88 // 1 पदमणि D, पदमिण E / 2 सकै DE | 3 हुती / 4 अधिकों , इधकी D / 5 जिकर, जेकइ D, जकै / / 6 रतनसेनि / / 7 ते परणी / 8 पदिमणी , पदमणी D, बारि / 9-9 आसा हुइ पूरी मन तणी , आस पूर हूई मन तणी D, साइँ सवाडौ पुरण हार / || A 88 | BC 92 / D101 / 103 / * // 89 // 1 पाँच DR | 2-2 तीहा सुख D, लगै तिहाँ / / 3 रतनसेनि व्रप D / 4 सिंहल' CB | 5 स्यं / 6 शिष्या B, सिष्या C, माँगी सीख E / 7 'अति' के स्थान पर 'इम' , विनय-वचन मुखि ईम उचरै D, कहेज्यो कारज अम्ह सारीख E || A 89 / BC 93 / D104 / / 106 / // 10 // 1 सिंहल DE / 2 साचो , साचौ 1, मोटो E / 3 राजान / / 4 हित दाख्यो देई बहु माँन / 5.5 यह अर्द्धाली D और E प्रतियोंमें नहीं है। // 11 // 1-1 यह अर्द्धाली CD प्रतियों में नहीं है। 2 सघली cDEI 3 मंझारि / 4 प्रवहणिक प्रहुषण D / 5 करि आया C, कराया DE | 6 पारि D || A 91 / BC 95 | D105 / / 107 // // 12 // यह चोपई E प्रति में नहीं है। 1 परै / / 2 सिंघलनाथै / 3 सिध्या / 4 पाल्यो पडिवन्यो , पालि पडवनो D / 5 बर्ड ही B, बिहु मनि CE || 6 वधारिन B, वधारयो , धारयो / ७विनो BD, वनो C, विनो E || D106 // // 13 // 1 सिंघल' BC, पाल्यो पडिवन्यो / 1.2 यह अ‘ली D प्रति में नहीं है, सिंहलपति पाछा जवल्या, रतनसेन आगा नीकल्या E 118 / 3 भुजाई' DE / 4 तेणा / 5 डेरै डेरै DE | 6 दीसै DE || A 93 / B0- 97 / D107 E119 // साहसीयाँ सतवादियाँ धीराँ एक मनाँह / देव करेसी चीतडी, लहिरी चित जिहाँह / / 102 / 104 // (दई D) (चंतडी D) (अरड फबेसी त्याँह D) साहसीयाँ लच्छी मिलै (हवै D), नह (नह D) कायर परसाँह (परीसाँह D) / काने कुंडल रयणमै, मिलि कज्जल नैणाँह // (अंजणयण नयणांह D) // D103 / / 104 //

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