Book Title: Gatha Muktavali newly Discovered Recension of Halas Sapta Sataka
Author(s): H C Bhayani
Publisher: Z_Aspect_of_Jainology_Part_2_Pundit_Bechardas_Doshi_012016.pdf
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दंतुक्कत्त.
11
उ
Gatha-Muktavali : A Newly Discovered Recension of Sapta-Sataka 35 758 x ii 6 तिसिओ; समूसरइ. 760 IX vii 2 वेडिसलआघरतेल्लि मइलिआ (B). 761 IX vi
जीअम्मिव: कलिअं. 762
कि भण्णइ. 763
मइअत्ति मओ मईवि तिसिओ मओ त्ति कलिऊणं;
ण पिअइ. 767
19 उत्थंघियाए; सेओ. 768
3 कल्लं व फुट्टिहिसि (B). 769 770
5 ओहार संघासालुआण वइमूलमल्लिअंताणं (B);
किलिंचअ (B); वलइ. 771
___ कुण परिहासं दे दिअर; णहोरणा वराईअं; पुणो
पिकं कुणसु तं छाअं. 772
पावरेणं; वासभवणेण (B); जस्स उरम्मि
णिसम्मइ (B). 774
उअ अस. 777
पवणो; °पत्तं.
धरिज्जिहिइ (B); °पल्लवाणं जो. 780
14 सज्जेह देह तूरं (B); कुणह विच्छिति (B);
पुहविवइस्स ( B); जह हलहलओ ( B). . 781
17 वणअव; वसंतमासे; पुणो वि. 782
15 दूरं; °परिमल ; विव. 783
जणस्स ( B). 787
4 °संठिआरक्खं ( B ); जीहमेत्तमहुरं कलमछेत्तं. 788 IX15 वणसालिणो ( B); होही. 790
विसमाह अपडहवेढणाविउलं (B); जाणइ णिव्वाहेउं. 791 IX
ओमग्गकवोलेण गयमएण पत्ते; दसावसाणम्मि
(B); तए (B). 795
खुरपीढपेल्लणदलंतपत्थर° (B); धवलोआरिअपंथे.
रए लच्छी. 819
गमेसु; वासअ. 821
अंवे; जाणंता विअ. 834
वोलीणो. 845
राईउ; जह इर. 925
दीहा वि समप्पइ; कह ण ते.
778
1X
IX
816
०००
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