Book Title: Dravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Author(s): Priyasnehanjanashreeji
Publisher: Priyasnehanjanashreeji

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Page 15
________________ 105 106 3. तृतीय भंग स्यादवक्तव्य : स्याद् अवक्तव्यो घट: 4. चतुर्थ भंग : स्याद् अस्ति नास्ति 5. पंचम् भंग : स्याद् अस्ति अवक्तव्य 6. षष्टम् भंग : स्याद् नास्ति अवक्तव्य 7. सप्तम् भंग : स्यादस्ति नास्ति अवक्तव्य 106 107 107 108 (स) अनेकान्तवाद और नय वाद अनेकान्तवाद और नयवाद का सहसम्बन्ध 109 110-197 110 113 (द) जैनदर्शन में नय-स्वरूप और नय-विभाजन (1) नय का स्वरूप नय की निरूक्तिपरक व्याख्या 1. नय प्रमाण परिगृहीत वस्तु का एक अंश 2. श्रुतज्ञान का विकल्प नय 3. ज्ञाता या वक्ता का अभिप्राय नय 4. नय एकदेशवस्तुग्राही 114 116 117 118 120 (2) नयविभाजन आगमकाल में नय विभाजन दार्शनिक युग में नय का विभाजन 121 122 125 (3) नयों के प्रकारों का विवेचन द्रव्यार्थिक नय के भेद 1. कर्मोपाधि शुद्ध द्रव्यार्थिकनय 2. उत्पाद-व्यय-निरपेक्ष शुद्ध द्रव्यार्थिकनय 3. भेदकल्पना-निरपेक्ष शुद्ध द्रव्यार्थिकनय 127 128 129 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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