Book Title: Dhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 319
________________ ध्यान में कुछ अनिवार्य तत्व है। विधि कोई भी हो, वे अनिवार्य तत्व हर विधि के लिए आवश्यक है। पहली है एक विश्रामपूर्ण अवस्था : मन के साथ कोई संघर्ष नहीं, 'मन पर कोई नियंत्रण नहीं कोई एकाग्रता नहीं ।। दसरा, जो भी चल रहा है उसे बिना किसी हस्तक्षेप के, बस शांत सजगता से देखो भरशांत हो कर, बिना किसी निर्णय और मूल्यांकन के, बस मन को देखते रहो। ये तीन बातें हैं: विश्राम, साक्षित्व, अनिर्णय और धीरे-धीरे एक गहन मौन तुम पर उतर आता है। तम्हारे भीतर की सारी हलचल समाप्त हो जाती है। तुम हो, लेकिन मैं हूं' का भाव नहीं हैबस एक शुद्ध आकाश है। ध्यान की एक सौ बारह विधिया है; मैं उन सभी विधियों पर बोला हूं। उनकी संरचना में भेद है, परंतु उनके आधार वही हैं। विश्राम, साक्षित्व और एक अनिर्णयात्मक दृष्टिकोण।। ओशो यह ओशो का विशेष गुण है कि वे व्यक्ति को सारे आध्यात्मिक अनुभव के गहन बोध में ले जाने में उसकी मदद करते हैं। में मानता है कि हमारे समय में वे धार्मिक चेतना की एका प्रमुख शक्ति है। जेम्स ब्रोटन प्रसिद्ध अभिनेता

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