Book Title: Dharmratna Prakaran Part 01
Author(s): Shantisuri, Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ प्रकाशकीय-निवेदन । प० पू० गच्छाधिपति आचार्य श्री माणिक्यसागर सूरीश्वरजी महाराज आदि ठाणा वि. सं. २०१० की साल में कपडवंज शहर में मीठाभाई गुलालचन्द के उपाश्रय में चतुर्मास बीराजे थे। उस वख्त विद्वान बाल दीक्षित मुनिराज श्री सूर्योदयसागरजी महाराज की प्रेरणा से आगमोद्धारक-प्रन्थमाला की स्थापना हुई थी। इस ग्रन्थमाला ने अब तक काफी प्रकाशन प्रगट किये हैं । सूरीश्वरजी की पुण्यकृपासे यह धर्म-रत्न-प्रकरण' हिन्दी अनुवाद के पहिला भाग को आगमोद्धारक-ग्रन्थमाला के ३० वे रत्न में प्रगट करने से हमको बहुत हर्ष होता है। इसका संशोधन प० पू० गच्छाधिपति आचार्य श्री माणिक्यसागरसूरीश्वर म० के तत्वावधान में शतावधानी मुनिराज श्री लाभसागरजी ने किया है। उसके बदल उनका और जिन्होंने इसके प्रकाशन में द्रव्य और प्रति देने की सहायता की है उन सब महानुभावों का आभार मानते हैं। -लि. प्रकाशक

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 308