Book Title: Dharmrasayana
Author(s): Padmanandi, Vinod Sharma
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 76
________________ 65 जस्स रडतस्स पुणो जासो परमसुही जियकोहो जियमाणो जे परिमाणविरहिया जेसुद्धवीरपुरिसा जो अप्पणो सरीरे जो एरिसियं धम्मं जो जिणवरिंदपू जो तिक्खदाढभीसण जो दइ गा जो धम्मंण करतो जो वहइ सिरे गंगा डं भिज्जइ जत्थ जणो ड हिऊणय कम्मवणं मिऊण देवदेवं वजोवणं पि पत्तो वि अत्थि माणुसणं ण समत्थो रक्खेउ पाऊण एव सव्वं णाऊण णिरवसेसं णाऊण देवलोयं णारइयाणं वेरं णिभूसणो वि सोहइ णिये जणणीए पेट्टं Jain Education International For Private & Personal Use Only 43 124 135 56 184 113 19 138 98 102 7 100 17 181 1 84 190 114 29 167 165 64 123 112 धर्मरसायन www.jainelibrary.org

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