Book Title: Dharmaratnakar
Author(s): Jaysen, A N Upadhye
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh

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Page 519
________________ - पारिभाषिकादिशब्दसूची - ४५३ गहित चतुर्वर्ग चाटूक्ति चैत्य १६०८ ३२८ १७२ FF मण ८७ दोष ८३ १००९ व्यस्तव ३४५ गुणव्रत ११३०, ११३७, ११४७, ११६३ . द्रव्यानुयोग १६०३ गुणस्थान द्वादशाङगिन् २२४ गही १६३० द्विपातक ११९ धर्म ८१८ धर्मकथा १५९० चान्द्रायण १३१९ धर्मचक्रवाल १३२१ चिन्तामणि धर्मशास्त्र ५५१ धारण चैत्यभवन ध्यान (द्वादश) ११०९, १५८६ चौर्य १०३७ नन्दीश्वर छेदोपस्थापना ८५६ नयचक्र ९५९ जिनमन्दिर १५६ निक्षेप १४७५-७७ जिनार्चा नियम १३५४, १६२६ जीवभेद ८८ निःशङका ७६२ जैनमत निःशङकित ज्ञान ४२४, ८३४ FE, ८४१-४२ निर्जरण ज्ञानप्रतिबन्धन निर्जरा १५८२ १४९७ FF नैगम ३५७ तत्त्वचिन्तन नैर्ग्रन्थ्य तपस् १३१४ FE,१३२७,१३३०,१६०६ पञ्चगव्य ९१२ तीर्थकृन्नामकर्म ३०२ पञ्चमी (व्रत) १३२२ तुष्टि १४२६ पञ्चास्तिकाय २५० त्यागी १३८-४१ पदार्थ त्रयात्मक परमषि १२५५ त्रिगुप्त १३८७ परिग्रह १०७१, १०८०, १३९४ FF दातृगुण १४१२, १४२४ परीषह ५७२, १५५० दातृसत्त्व १४३२ परीषहजय १५५१-७२ दान (चतुर्विध) ६०, २९९, १४७८-८१ पर्व १३१२ दिग्विरति २१२, १४१४ दुष्षमाकाल ४०७ पादपूजा १४०५ देवमूढ ६७६ पापत्रयी १५७७ देवार्चनाविधि ११९२ पारणा देशचारित्र पुद्गल ६५५ देशव्रत ११४३ पुरुषार्थसिद्धयुपाय ८१९ ज्ञानी ८३ ४९५ पात्र ११८ ६०७ दृग्दोष पुलाक

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