Book Title: Dharm Shasan
Author(s): Raghunandan Sharma
Publisher: Raghunandan Sharma

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Page 15
________________ धर्म-शासन धर्म संस्थाओं पर राज सत्ता का नियन्त्रण तो आवश्यकीय है। जिससे अधर्म संस्थाएं धर्म संस्था का रूप न धारण कर सकें और सच्ची धर्म संस्थाओं पर आक्रमण न कर सकें। परन्तु सभी धर्म संस्थाओं की कार्य विधि में हस्तक्षेप करना अनुचित हो नहीं अपितु हानिदायक है। भारत देश धर्म प्रधान है धर्म के ही प्रभाव से यहां रूस का साम्यवाद 'पल्लवित नहीं हो पाया है। समझ लीजिए साम्यवाद आपकी अर्थ नीति से नहीं पछड़ सकता । आपको अर्थ नीति से साम्यवाद की अर्थ नोति अधिकतर लोकप्रिय है। साम्यवाद गजेन्द्र को तो पछाड़ने वाला एक ही धर्म केशरी है इसकी उपेक्षा न कीजिए किन्तु पूर्णतया इसका पालन कीजिए। धर्म भारत का प्राण है। राजसत्ता का यही एक आपत्काल का मित्र है। इति शुभम् । यतो धर्मस्ततो जयः। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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