Book Title: Dharm Ki Parakh Ka Aadhar
Author(s): Amarmuni
Publisher: Z_Panna_Sammikkhaye_Dhammam_Part_01_003408_HR.pdf

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Page 1
________________ धर्म की परख का आधार अध्यात्म और विज्ञान, दोनों ही मानव जीवन के मुख्य प्रश्न हैं और बहुत गहरे हैं। जीवन के साथ दोनों का घनिष्ठ सम्बन्ध होते हुए भी आज दोनों को भिन्न भूमिकाओं पर खड़ा कर दिया गया है। अध्यात्म को प्राज कुछ विशेष क्रियाकांडों एवं तथाकथित प्रचलित मान्यताओं के साथ जोड़ दिया गया है और विज्ञान को सिर्फ भौतिक अनसन्धान एवं जगत के बहिरंग विश्लेषण तक सीमित कर दिया गया है। दोनों ही क्षेत्रों में आज एक वैचारिक प्रतिबद्धता प्रा गई है, इसलिए एक विरोधाभास-सा खड़ा हो गया है, और इस कारण कहींकहीं दोनों को परस्पर प्रतिद्वन्द्वी एवं विरोधी भी समझा जा रहा है। आज के तथाकथित धार्मिक जन विज्ञान को सर्वथा झूठा और गलत बता रहे हैं और विज्ञान भी बड़ी बेरहमी के साथ धार्मिकों की तथाकथित अनेक धारणाओं को झकझोर रहा है। अपोलो ८, अभी-अभी चन्द्रलोक की परिक्रमा करके आ गया है, वहाँ के चित्र भी ले आया है। अपोलो ८, के तीनों अमरीकी अंतरिक्ष यात्रियों ने आँखों देखी स्थिति बताई है कि-वहाँ पहाड़ों और गड्ढ़ों से व्याप्त एक सुनसान वीरान धरातल है और उनकी घोषणा को रूस' जैसे प्रतिद्वन्द्वी राष्ट्र के वैज्ञानिकों ने भी सत्य स्वीकार किया है । परन्तु, हमारा धार्मिक वर्ग एक सिरे से दूसरे सिरे तक प्राज इन घोषणाओं से काफी चिन्तित हो उठा है। मेरे पास बाहर से अनेक पत्र पाए हैं, बहुत से जिज्ञासु प्रत्यक्ष में भी मिले है-सबके मन में एक ही प्रश्न तरंगित हो रहा है--"अब हमारे शास्त्रों का क्या होगा? हमारे शास्त्र तो चन्द्रमा को एक महान् देवता के रूप में मानते हैं, सूर्य से भी लाखों मील ऊँचा' चन्द्रमा का स्फटिकरत्नों का विमान है, उसपर सुंदर वस्त्र-आभूषणों से अलंकृत देव-देवियां हैं। चन्द्र विमान एक लाख योजन ऊँचे मेरु पर्वत के चारों ओर भ्रमण करता है। चन्द्र में जो काला धब्बा दिखाई देता है, वह मृग का चिन्ह है। हमारे शास्त्रों के इन सब वर्णनों का अब क्या होगा? वहाँ जाने वाले तो बताते हैं, चित्र दिखाते है कि चन्द्र में केवल पहाड़ और खड्डे हैं, किसी यात्री से किसी देवता की मुलाकात भी वहाँ नहीं हुई, यह क्या बात है ? ये वैज्ञानिक झूठे हैं या शास्त्र ? शास्त्र झूठे कैसे हो सकते हैं? ये भगवान् की वाणी है, सर्वज्ञ-वाणी है।" विज्ञान एवं अध्यात्म का क्षेत्र : ____ मैं सोचता हूँ, धार्मिक के मन में आज जो यह अकुलाहट पैदा हो रही है, धर्म के प्रतिनिधि तथाकथित शास्त्रों के प्रति उसके मन में जो अनास्था एवं विचिकित्सा का ज्वार उठ रहा है, उसका एक मुख्य कारण है-वैचारिक प्रतिबद्धता! कुछ परम्परागत रूढ़ विचारों के साथ उसकी धारणा जुड़ गई है, कुछ तथाकथित ग्रन्थों और पुस्तकों को उसने धर्म का प्रतिनिधि शास्त्र समझ लिया है, यह न तो इसका ठीक तरह बौद्धिक विश्लेषण कर सकता है और न ही विश्लेषण प्राप्त सत्य के प्राधार पर उनके मोह को ठकरा सकता है। वह बार १. चन्द्रप्रज्ञप्ति, १८।३ २. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, ज्योतिष चक्राधिकार, ८ ३. चन्द्रप्रज्ञप्ति, २०१२ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, ८. ४. चन्द्रप्राप्ति, २०१४ धर्म की परख का अाधार Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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