________________ लेखक-परिचय नाम पद : डॉ. सुदर्शनलाल जैन संस्कृत-विभागाध्यक्ष काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी। जन्मतिथि : ई. सन् 1.4.1944 जन्म-स्थान मंजला ग्राम, जिला- सागर (म. प्र.)। शैक्षणिक योग्यता: एम. ए. (संस्कृत), पी- एच. डी., जैनदर्शनाचार्य, प्राकृताचार्य, साहित्याचार्य हिन्दी-साहित्यरत्न। शिक्षा-संस्थान : जैन विद्यालय कटनी, मोराजी सागर, स्याद्वाद महाविद्यालय, पार्श्वनाथ विद्याश्रम तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी! अध्यापन : (1) संस्कृत विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी (12 अगस्त 1968 से लगातार)। (2) वर्धमान कालेज, बिजनौर, यू. पी. (सितम्बर 1967 से 11 अगस्त 1968 तक) प्रकाशित ग्रन्थादि : (1) ग्रन्थ लेखन- 1. उत्तराध्ययन सूत्र : एक परिशीलन (यू. पी. सरकार से पुरस्कृत, शोधप्रबन्ध), 2. तर्कसंग्रह, 3. संस्कृतप्रवेशिका, 4. प्राकृतदीपिका, 5. कर्पूरमञ्जरी। (2) सम्पादन-सहायक- कसायपाहुड, भाग 16, आचाराङ्गसूत्रः एक परिशीलन तथा तीन अभिनन्दन ग्रन्थ। (3) पैंतीस से अधिक प्रकाशित लेख। (4) कई सेमिनारों में निबन्ध वाचन। शोध-निर्देशन : पच्चीस छात्र पी- एच. डी. उपाधि प्राप्त कर चुके हैं तथा वर्तमान में दश छात्र पी- एच. डी. कर रहे हैं। पदाधिकारी : कई संस्थाओं के पदाधिकारी और कार्यकारिणी सदस्य। मन्त्री- अ.भा.दि. जैन विद्वत् परिषद्, डायरेक्टर तथा कार्यकारी मन्त्री- श्रीगणेश वर्णी दि. जैन (शोध) संस्थान, वाराणसी। अन्य : (1) सामाजिक, धार्मिक आदि कार्यों में सक्रिय योगदान। (2) कठिनाइयों से भरे जीवन को धार्मिक-भावना तथा सत्यनिष्ठा रूपी नौका से तैरकर इस मंजिल तक पहुँच। (3) जैनदर्शन और प्राकृत विद्या के साथ संस्कृत साहित्य और जैनेतर दर्शनों में अविराम गति। (4) परिवार के सभी सदस्य उच्च शिक्षित। SH.SARKAR