Book Title: Descriptive Catalogue of Palmleaf and Paper Manuscripts
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 116. DESCRIPTIVE CATALOGUE OF MANUSCRIPTS नमः खलेभ्यस्त महाबलेभ्यः दोषोदये मित्रपुरोदधद्भ्यः / न जात मत् काव्यकथाप्रसने भूयादमीणं श्रवणावधानम् / End-इति श्री गोविन्दकविभूषण लामन्तराय विरचिते सूरिसर्वस्बे शेषस हो नाम चत्वारिंशः सगहः। समाप्तोत्य गन्थः / Topics- प्रातकृत्ये सर्वोपचार निर्णयो नाम द्वाविंशः स ग हः, प्रातः कृत्ये पूजामुख्याङ्ग भूनशुद्धि निरूपणनाम त्रयोविंशः संगहः पूजाङ्गनिरूरणे षट्चक्रान्त निरूपण'नामचत विश: संग हः, प्रातः कृत्याच्चन मनुषङ्गिमातृकाविधिः नाम पञ्चविंश: सग हः, मातृकामेद निरूपण' नाम षड विशः स ग हः / प्राद.कालपूजानुषङ्ग भाषचत ष्य पय्यन्तः न्यास प्रपञ्चोनाम सप्तविंशः स ग ह, प्रातः पूजादिषु मन्त्र निर्देशो नामाष्टाविंशः स'ग हः, ध्याननिर्देशो नाम नत्रिश: स ग हः, अन्तयजन विधिर्नाम निशः स'ग हः, व ह्यपूजायामाधाहनादि विधि मैक त्रिशतमः संग हः, पुष्पप्रदान विधिन द्वात्रि'शसगहः, नैवेद्यदानादि विधिर्नाम त्रयस्त्रिशः सग हः,नपणवि धर्नाम चन त्रिश. सग,हः, मध्याह न पूजा विधि म पञ्चत्रि'श: साग हः. रात्रिपूजाविधीन पट त्रिशः स ग हः, भगवानमित्तिक परिचर्या वधि म सप्तत्रिशः सागहः. मानसीय भगवदाराधनविधि नामाष्टत्रि.शः सग हः, शेषरहस्य प्रकाशन नाम एकोननत्वारिंशः स ग हः, शेषसग होनाम चन्धारिंशः सागहः। No colophon. 205 Dh. 80. सूरिसर्वस्वम् By गोविन्द कविभूषण सामन्तराय Substence-Palm leaf, No of folia 145 (16.2"X1.-") Charact T Oriya, Date of copy 1786-87, A.D. Complete. condition-not god, Find spot-not known. Colophon- वीरकेशरिमनङ्गजराज प्रोद्यतेत्र धिक षष्ठितमे मत्कृत लिखितमत्र मयाप्तीत्तन्त्रमेतदनुशीलयतार्याः / समाप्तोयं गन्थः, Similar to No 187 For Private and Personal Use Only

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