Book Title: Darshan aur Anekantavada
Author(s): Hansraj Sharma
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 232
________________ ( III ) पृष्ठ पंक्ति प्रशुद्ध शुद्ध ८० ८० १३ १५ प्रास्तित्व ८४१२ ८४१५ ८४१६ १ १२ २४ मतिरमणीम् मतिरमणीयम् [अ० प्रा० २ सू०३] [अ० १ प्रा० २ सू० ३] प्रत्यये सत्ययेव प्रत्यये सत्ययेव पृ० १२ पृ. ४६ अस्तित्व जातीरीति जातिरिति सामान बुद्धि को समान बुद्धि को उभयरूप रूप उभयरूप उपलब्ध उपलब्ध न्याय शूत्रों पर न्याय सूत्रों पर वृतियों वृत्तियों नह्यत्पेत्तेः नयत्पत्तेः उपादान नियात् उपादान नियमात् बैशेषिक वैशेषिक सच्छशशृगादयः सच्छशशृङ्गादयः वाचारम्मणं (वाचारम्भणं) परस्तादपि (पुरस्तादपि) वै० सू० वै० पृ० १७४ वे० सू० पत्प्रमाणैः यत्प्रमाणैः गवाश्चादि गवाश्वादि महषी महिषी प्रमाणतश्वेत् प्रमाणतश्चेत् इत्दादि इत्यादि. असत्वस्व असत्यत्व कहाँ तब कहाँ तक १९ १८ w 15 88 १०२४ १०४ १५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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